Tuesday, 31 May 2022
Monday, 30 May 2022
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हिंदी पत्रकारिता की नवीन प्रवृत्तियां विषयक वेबिनार का आयोजन
सकारात्मक खबरें पाठकों की होती हैं पहली पसंद: प्रो.प्रमोद कुमार
मीडिया का सामाजिक सरोकार जरूरी: प्रो.निर्मला एस. मौर्य
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-अनुवाद, भारतीय भाषा,संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सोमवार को "हिंदी पत्रकारिता की नवीन प्रवृत्तियां" विषयक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पाठ्यक्रम निदेशक एवं छात्र कल्याण अधिष्ठाता, भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी),नई दिल्ली के प्रो. प्रमोद कुमार ने कहा कि सकारात्मक और समाज में बदलाव से जुड़ी खबरें पाठकों द्वारा खूब पसंद की जा रही हैं। डिजिटल हो चुकी हिंदी पत्रकारिता ने सकारात्मक खबरों के माध्यम से पाठकों एवं दर्शकों का एक बड़ा वर्ग तैयार किया है। उन्होंने मीडिया में सकारात्मक खबरों की वकालत की। कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी देश और समाज में बदलाव लाने वाली खबरों को प्रमुखता देने की बात कही थी।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि पत्रकारिता समाज हित के लिए होनी चाहिए। इसका सामाजिक सरोकार जरूरी है, तभी इसका लाभ देश को मिल सकेगा। पौराणिक और कलयुगी पत्रकारिता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले की पत्रकारिता का रूप साहित्यिक था, बाद में यह विधा नई परिधि के रूप में बदली और बहुआयामी हो गई। समय के साथ- साथ इसके प्रतिमान भी बदले। पत्रकारिता में सनसनी फैलाने का ट्रेंड चल रहा है इस पर विचार करने की जरूरत है। तकनीक के साथ-साथ समाचार पत्रों की डिजाइन और रूप सज्जा भी बदली है जो पाठकों को आकर्षित कर रही है।
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी ने कहा कि एक तरफ हिंदी पत्रकारिता का विस्तार हुआ है तो दूसरी तरफ उसकी भाषा में संक्रमण हुआ है। उन्होंने कहा कि आज भी अधिकतर चैनल हिंदी के ही हैं इनकी अपनी अलग-अलग भाषा हो गई है। सोशल मीडिया की भाषा पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसका कोई नियमन नहीं।
विशिष्ट अतिथि उप निदेशक सूचना,राजभवन,उत्तराखंड डॉ नितिन उपाध्याय ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता को जनभाषा से अलग नहीं किया जा सकता है। अखबारों का क्षेत्रीयकरण पाठक को कई बड़ी खबरों से दूर ले जा रहा है। इसका कारण अधिक से अधिक संस्करण निकलना है। वेबिनार के संयोजक और जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने अतिथियों का स्वागत और विषय प्रवर्तन किया।
संचालन डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया।
इस अवसर पर प्रो.अविनाश पाथर्डीकर, प्रो. अजय द्विवेदी, डॉ. रसिकेश, डॉ राकेश यादव, डॉ. जगदेव, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ चंदन सिंह,अन्नू त्यागी, डॉ तरुणा गौर, रेनू तिवारी, विश्वप्रकाश श्रीवास्तव सहित शिक्षक और विद्यार्थी शामिल थे।
Friday, 27 May 2022
एक दिवसीय वर्कशाप का आयोजन
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के बौद्धिक संपदा अधिकार प्रकोष्ठ व पेटेंट डिजाइन एंड ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय के सहयोग से एक दिवसीय वर्कशाप का आयोजन शुक्रवार को आर्यभट्ट सभागार में हुआ। इसमें नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी एवरनेस मिशन(एनआइपीएएम) की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार के संबंध में जागरूक किया गया।मुख्य वक्ता नई दिल्ली बौद्धिक संपदा कार्यालय के पेटेंट और डिजाइन के परीक्षक प्रशांत सिंह ने कहा कि आपीआर की विभिन्न विधाओं की जानकारी सभी को होनी चाहिए।
ट्रेड मार्क का मतलब टीएम ही नहीं होता जो अपंजीकृत है या आवेदन करने के बाद पेंडिग रहती है। वह उत्पाद टीएम का संकेत लगाते हैं। जो पंजीकृत होते हैं वह आर का संकेत लगाते हैं। इसी तरह उन्होंने पेटेंट और डिजाइन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की और उसके कानूनी पहलुओं पर भी बताया।
उन्होंने कहा कि भौगोलिक संकेतांक पर सबसे पहला अधिकार स्थानीय लोगों का होता है। इसके लिए उन्होंने बनारसी साड़ी का उदाहरण दिया। इसके बाद प्रश्नोत्तरी सत्र चला। इसमें उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब दिया। कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि अपने सृजन पर हमारा ही अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 301 में बौद्धिक संपदा का जिक्र है। संपदा दो प्रकार की होती है एक भौतिक संपदा दूसरा बौद्धिक संपदा। हर वृक्ष का आयुर्वेद में महत्व है। यह भौतिक संपदा की श्रेणी में आता है, हमें इन दोनों संपदा को संरक्षित करने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन डा. सुजीत चौरसिया और आभार डा. सुनील कुमार ने किया।
Tuesday, 17 May 2022
लोकमंगल के पत्रकार थे देवर्षि नारदः डा. मनोज मिश्र
जनसंचार विभाग में मनाई गई देवर्षि नारद की जयंती
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में मंगलवार को देवर्षि नारद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर आदि पत्रकार नारद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने देवर्षि नारद को सृष्टि का प्रथम संचारक कहा।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. रामनारायण ने कहा कि देवर्षि नारद दुनिया के पहले संचारक थे। साथ ही उन्हें सृष्टि का पहला संवाददाता भी कहा जाता था जो अपना काम पूरे ईमानदारी के साथ संपादित करते थे।
जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मनोज मिश्र ने कहा कि देवर्षि नारद पत्रकारिता के प्रथम निडर पत्रकार थे। शिखर पुरुष एवं नीतियों को संबंधित व्यक्ति या समाज तक बेबाक रूप से पहुंचाते थे। उनकी पत्रकारिता में लोकमंगल निहित होता था। उनके लोकहित और लोकमंगल की पत्रकारिता के प्रमाण प्राचीन ग्रंथों में मिलते हैं।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डा. सुनील कुमार ने कहा कि आज की पत्रकारिता में टेबिल रिपोर्टिंग का दौर चला है। महर्षि नारद हमेशा स्पाट रिपोर्टिंग करते थे। वह अपनी बात को बिंदास होकर प्रेषित करते थे।
इसके पूर्व विभागाध्यक्ष मनोज मिश्र ने मुख्य अतिथि को बुके देकर स्वागत किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह ने भी विचार व्यक्त किए।
समय पर जांच, व्यायाम से कम होंगे उच्च रक्तचाप : प्रो. वंदना राय
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर विद्यार्थियों को दिलाई गई शपथ
इस अवसर पर प्रो. वंदना राय ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष उच्च रक्तचाप के कारण 16 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
यह बीमारी दिन प्रतिदिन भयानक रूप लेते जा रही है। व्यायाम की कमी व शहरी दिनचर्या के कारण शहरों में ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले अधिक लोग तनाव के शिकार हो रहे हैं। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि उच्च रक्त चाप होने पर ये शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। मुख्य रूप से हृदय मस्तिष्क और किडनी को ज्यादा प्रभावित करता है। प्रतिवर्ष लाखों लोग हृदय से संबंधित बीमारियों व स्ट्रोक का शिकार होते हैं। यह युवाओं में भी चपेट में रही है।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लिए अनेकों दवाएं उपलब्ध है जिन्हें समय पर लेने से इस बीमारी का प्रबंधन किया जा सकता है।
इस अवसर पर बायोटेक्नालाजी विभाग के प्रो. डॉ. प्रदीप कुमार ने कहा कि प्रतिदिन लगभग तीस मिनट से अधिक व्यायाम करने से हम पूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकते है। एक स्वस्थ जीवन जी सकते है व प्रतिदिन आने वाले तनाव से बचने के लिए योग व सकारात्मक मानसिक स्थिति को विकसित कर हम इस रोग से बच सके है।
कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को इस बात की शपथ दिलाई गई की वह प्रतिदिन लगभग 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम अवश्य करेंगे। साथ ही अन्य लोगों को भी इस बीमारी के बारे में जागरूक करेंगे। कार्यक्रम का संचालन श्री शुभम सिंह धन्यवाद ज्ञापन अमृता चौधरी ने किया। इस अवसर पर रवि, गुरु प्रसाद अनिकेत आनंद अजय शिवम सत्यम अभिषेक शिवांगी, ओजश्विनी, सुप्रिया, श्रेया, निधि रेनू सरोजिनी प्राची साधना नंदिता, अनुराधा आदि ने प्रतिभाग किया।
Sunday, 15 May 2022
परिवार से बड़ा कोई धन नहीं: प्रो. निर्मला एस. मौर्य
Friday, 13 May 2022
विश्वविद्यालय, महाविद्यालय को नैक कराना जरूरी: डॉ. नीलेश पांडेय
Thursday, 12 May 2022
विद्यार्थी अपनी स्किल्स पर ध्यान दें : कुलपति
Wednesday, 11 May 2022
शैक्षणिक गतिविधियों को लेकर हुआ समझौताः प्रो. निर्मला एस. मौर्य
Sunday, 8 May 2022
स्मार्ट फोन विविध ज्ञान का स्रोत: गिरीश यादव
Saturday, 7 May 2022
कुलपति ने 51 गरीबों को दिया खाद्यान्न
Thursday, 5 May 2022
प्रबंधन के लिए धैर्य और दृष्टि दोनों जरूरी: रामाशीष
वेदों से प्रभावित हैं जीवन का सार: प्रो. निर्मला एस. मौर्य
विद्या विनय के लिए है धन के लिए नहीं : प्रो. गोपबंधु मिश्र
वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह बृहस्पतिवार को आर्यभट्ट सभागार में किया गया। यह समारोह मानव संसाधन विकास विभाग और प्रबंध अध्ययन संकाय की ओर से किया जा रहा है।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रज्ञा प्रवाह श्रीरामाशीष ने कहा कि भारत को जानना है तो उसकी परंपरा को जानना होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम की दृष्टि प्रबंधन में धन कमाना सिखाती है, लेकिन भारतीय दृष्टि कारपोरेट के साथ नहीं जिंदगी के साथ शुरू होती है। उनका मानना है कि मैनेजमेंट के लिए धैर्य और दृष्टि दोनों जरूरी है। यर्जुवेद में भी इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्होंने महर्षि नारद युधिष्ठिर संवाद को मैनेजमेंट के परिप्रेक्ष्य में समझाया।बतौर अध्यक्ष विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि जीवन का प्रबंधन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष से ही है। ये चारों वेदों से प्रभावित हैं। वेदों का सार उपनिषद में है। पांचवां वेद गीता है। उन्होंने कहा कि जीवन का सार और रास्ता इन्हीं धार्मिक पुस्तकों से ही होकर गुजरता है, ऐसे में उन ग्रंथों का ज्ञान जरूरी है।
विशिष्ट अतिथि श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गोप बंधु मिश्र ने कहा कि मनुष्य का प्रमुख धर्म परोपकार का है। सभी का लक्ष्य विश्व को एक सूत्र में पिरोना है, यह धर्म के बिना संभव नहीं है। प्रबंधन में विवेक की जरूरत होती है। उन्होंने हनुमानजी के प्रबंधन को विस्तार से समझाया।उन्होंने कहा कि विद्या से धन की नहीं विनय की कल्पना की जानी चाहिए।इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरीश चंद्र पुरोहित ने कहां की वैदिक मैनेजमेंट का मूल मंत्र वसुधैव कुटुंबकम है। राष्ट्र सर्वोपरि है इसी को ध्यान में रखकर हर क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।
स्वागत भाषण प्रो. मानस पांडेय ने और समारोह का परिचय और विषय प्रवर्तन प्रो. अविनाश पाथर्डीकर किया। संचालन शोध छात्र अभिनव श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय द्विवेदी ने किया।
इस अवसर पर वित्त अधिकारी संजय राय, प्रो. बीबी तिवारी,. प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. रामनारायण, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, प्रज्ञा प्रवाह के संतोष त्रिपाठी, संतोष सिंह, डॉ. मनीष कुमार गुप्त, डॉ राकेश यादव, डॉ. नुपुर तिवारी, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. रसिकेश, डॉ मनीष प्रताप सिंह, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. मुराद अली, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. अमित वत्स, डॉ. परमेंद्र विक्रम सिंह, डॉ. नृपेन्द्र सिंह, डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉक्टर आलोक दास, इन्द्रेश कुमार आदि ने भाग लिया।
वेदों से प्रभावित हैं जीवन का सार: प्रो. निर्मला एस. मौर्य
विद्या विनय के लिए है धन के लिए नहीं : प्रो. गोपबंधु मिश्र
वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह बृहस्पतिवार को आर्यभट्ट सभागार में किया गया। यह समारोह मानव संसाधन विकास विभाग और प्रबंध अध्ययन संकाय की ओर से किया जा रहा है।
बतौर अध्यक्ष विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि जीवन का प्रबंधन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष से ही है। ये चारों वेदों से प्रभावित हैं। वेदों का सार उपनिषद में है। पांचवां वेद गीता है। उन्होंने कहा कि जीवन का सार और रास्ता इन्हीं धार्मिक पुस्तकों से ही होकर गुजरता है, ऐसे में उन ग्रंथों का ज्ञान जरूरी है।
विशिष्ट अतिथि श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गोप बंधु मिश्र ने कहा कि मनुष्य का प्रमुख धर्म परोपकार का है। सभी का लक्ष्य विश्व को एक सूत्र में पिरोना है, यह धर्म के बिना संभव नहीं है। प्रबंधन में विवेक की जरूरत होती है। उन्होंने हनुमानजी के प्रबंधन को विस्तार से समझाया।उन्होंने कहा कि विद्या से धन की नहीं विनय की कल्पना की जानी चाहिए।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरीश चंद्र पुरोहित ने कहां की वैदिक मैनेजमेंट का मूल मंत्र वसुधैव कुटुंबकम है। राष्ट्र सर्वोपरि है इसी को ध्यान में रखकर हर क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।
स्वागत भाषण प्रो. मानस पांडेय ने और समारोह का परिचय और विषय प्रवर्तन प्रो. अविनाश पाथर्डीकर किया। संचालन शोध छात्र अभिनव श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय द्विवेदी ने किया।
इस अवसर पर वित्त अधिकारी संजय राय, प्रो. बीबी तिवारी,. प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. रामनारायण, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, प्रज्ञा प्रवाह के संतोष त्रिपाठी, संतोष सिंह, डॉ. मनीष कुमार गुप्त, डॉ राकेश यादव, डॉ. नुपुर तिवारी, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. रसिकेश, डॉ मनीष प्रताप सिंह, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. मुराद अली, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. अमित वत्स, डॉ. परमेंद्र विक्रम सिंह, डॉ. नृपेन्द्र सिंह, डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉक्टर आलोक दास, इन्द्रेश कुमार आदि ने भाग लिया।