वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के बौद्धिक संपदा अधिकार प्रकोष्ठ व पेटेंट डिजाइन एंड ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय के सहयोग से एक दिवसीय वर्कशाप का आयोजन शुक्रवार को आर्यभट्ट सभागार में हुआ। इसमें नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी एवरनेस मिशन(एनआइपीएएम) की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार के संबंध में जागरूक किया गया।मुख्य वक्ता नई दिल्ली बौद्धिक संपदा कार्यालय के पेटेंट और डिजाइन के परीक्षक प्रशांत सिंह ने कहा कि आपीआर की विभिन्न विधाओं की जानकारी सभी को होनी चाहिए।
ट्रेड मार्क का मतलब टीएम ही नहीं होता जो अपंजीकृत है या आवेदन करने के बाद पेंडिग रहती है। वह उत्पाद टीएम का संकेत लगाते हैं। जो पंजीकृत होते हैं वह आर का संकेत लगाते हैं। इसी तरह उन्होंने पेटेंट और डिजाइन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की और उसके कानूनी पहलुओं पर भी बताया।
उन्होंने कहा कि भौगोलिक संकेतांक पर सबसे पहला अधिकार स्थानीय लोगों का होता है। इसके लिए उन्होंने बनारसी साड़ी का उदाहरण दिया। इसके बाद प्रश्नोत्तरी सत्र चला। इसमें उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब दिया। कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि अपने सृजन पर हमारा ही अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 301 में बौद्धिक संपदा का जिक्र है। संपदा दो प्रकार की होती है एक भौतिक संपदा दूसरा बौद्धिक संपदा। हर वृक्ष का आयुर्वेद में महत्व है। यह भौतिक संपदा की श्रेणी में आता है, हमें इन दोनों संपदा को संरक्षित करने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन डा. सुजीत चौरसिया और आभार डा. सुनील कुमार ने किया।
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