वेदों से प्रभावित हैं जीवन का सार: प्रो. निर्मला एस. मौर्य
विद्या विनय के लिए है धन के लिए नहीं : प्रो. गोपबंधु मिश्र
वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह बृहस्पतिवार को आर्यभट्ट सभागार में किया गया। यह समारोह मानव संसाधन विकास विभाग और प्रबंध अध्ययन संकाय की ओर से किया जा रहा है।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रज्ञा प्रवाह श्रीरामाशीष ने कहा कि भारत को जानना है तो उसकी परंपरा को जानना होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम की दृष्टि प्रबंधन में धन कमाना सिखाती है, लेकिन भारतीय दृष्टि कारपोरेट के साथ नहीं जिंदगी के साथ शुरू होती है। उनका मानना है कि मैनेजमेंट के लिए धैर्य और दृष्टि दोनों जरूरी है। यर्जुवेद में भी इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्होंने महर्षि नारद युधिष्ठिर संवाद को मैनेजमेंट के परिप्रेक्ष्य में समझाया।बतौर अध्यक्ष विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि जीवन का प्रबंधन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष से ही है। ये चारों वेदों से प्रभावित हैं। वेदों का सार उपनिषद में है। पांचवां वेद गीता है। उन्होंने कहा कि जीवन का सार और रास्ता इन्हीं धार्मिक पुस्तकों से ही होकर गुजरता है, ऐसे में उन ग्रंथों का ज्ञान जरूरी है।
विशिष्ट अतिथि श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गोप बंधु मिश्र ने कहा कि मनुष्य का प्रमुख धर्म परोपकार का है। सभी का लक्ष्य विश्व को एक सूत्र में पिरोना है, यह धर्म के बिना संभव नहीं है। प्रबंधन में विवेक की जरूरत होती है। उन्होंने हनुमानजी के प्रबंधन को विस्तार से समझाया।उन्होंने कहा कि विद्या से धन की नहीं विनय की कल्पना की जानी चाहिए।इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरीश चंद्र पुरोहित ने कहां की वैदिक मैनेजमेंट का मूल मंत्र वसुधैव कुटुंबकम है। राष्ट्र सर्वोपरि है इसी को ध्यान में रखकर हर क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।
स्वागत भाषण प्रो. मानस पांडेय ने और समारोह का परिचय और विषय प्रवर्तन प्रो. अविनाश पाथर्डीकर किया। संचालन शोध छात्र अभिनव श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय द्विवेदी ने किया।
इस अवसर पर वित्त अधिकारी संजय राय, प्रो. बीबी तिवारी,. प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. रामनारायण, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, प्रज्ञा प्रवाह के संतोष त्रिपाठी, संतोष सिंह, डॉ. मनीष कुमार गुप्त, डॉ राकेश यादव, डॉ. नुपुर तिवारी, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. रसिकेश, डॉ मनीष प्रताप सिंह, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. मुराद अली, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. अमित वत्स, डॉ. परमेंद्र विक्रम सिंह, डॉ. नृपेन्द्र सिंह, डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉक्टर आलोक दास, इन्द्रेश कुमार आदि ने भाग लिया।
वेदों से प्रभावित हैं जीवन का सार: प्रो. निर्मला एस. मौर्य
विद्या विनय के लिए है धन के लिए नहीं : प्रो. गोपबंधु मिश्र
वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वैदिक प्रबंधन अध्ययन केंद्र के उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन समारोह बृहस्पतिवार को आर्यभट्ट सभागार में किया गया। यह समारोह मानव संसाधन विकास विभाग और प्रबंध अध्ययन संकाय की ओर से किया जा रहा है।
बतौर अध्यक्ष विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि जीवन का प्रबंधन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष से ही है। ये चारों वेदों से प्रभावित हैं। वेदों का सार उपनिषद में है। पांचवां वेद गीता है। उन्होंने कहा कि जीवन का सार और रास्ता इन्हीं धार्मिक पुस्तकों से ही होकर गुजरता है, ऐसे में उन ग्रंथों का ज्ञान जरूरी है।
विशिष्ट अतिथि श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गोप बंधु मिश्र ने कहा कि मनुष्य का प्रमुख धर्म परोपकार का है। सभी का लक्ष्य विश्व को एक सूत्र में पिरोना है, यह धर्म के बिना संभव नहीं है। प्रबंधन में विवेक की जरूरत होती है। उन्होंने हनुमानजी के प्रबंधन को विस्तार से समझाया।उन्होंने कहा कि विद्या से धन की नहीं विनय की कल्पना की जानी चाहिए।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरीश चंद्र पुरोहित ने कहां की वैदिक मैनेजमेंट का मूल मंत्र वसुधैव कुटुंबकम है। राष्ट्र सर्वोपरि है इसी को ध्यान में रखकर हर क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।
स्वागत भाषण प्रो. मानस पांडेय ने और समारोह का परिचय और विषय प्रवर्तन प्रो. अविनाश पाथर्डीकर किया। संचालन शोध छात्र अभिनव श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय द्विवेदी ने किया।
इस अवसर पर वित्त अधिकारी संजय राय, प्रो. बीबी तिवारी,. प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. रामनारायण, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, प्रज्ञा प्रवाह के संतोष त्रिपाठी, संतोष सिंह, डॉ. मनीष कुमार गुप्त, डॉ राकेश यादव, डॉ. नुपुर तिवारी, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. रसिकेश, डॉ मनीष प्रताप सिंह, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. मुराद अली, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. अमित वत्स, डॉ. परमेंद्र विक्रम सिंह, डॉ. नृपेन्द्र सिंह, डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉक्टर आलोक दास, इन्द्रेश कुमार आदि ने भाग लिया।
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