Monday, 2 May 2022

देश और संस्कृति को एक सूत्र में बांधती है हिंदी - प्रो पातंजलि


अनुवाद में रोजगार के बहुत है अवसर 
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुवाद की भूमिका विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी 

वीर बहादुर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में सोमवार को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुवाद की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय भाषा संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ और जनसंचार विभाग की ओर से किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. पीसी पांतजलि ने कहा कि हिंदी सशक्त भाषा है जो सभी भाषाओं को समाहित कर लेती है। यह संस्कृति की संवाहक है हिंदी ही देश की संस्कृति को बचाने के साथ-साथ राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का काम करती है।
उन्होंने कहा कि हिंदी जब तक रोजगारपरक नहीं बनेगी तब तक राष्ट्रवाद नहीं पनपेगा। अनुवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हरिवंश राय बच्चन सर्वश्रेष्ठ अनुवादक थे। अनुवादक  मानव में संवेदना पैदा करता है। कहा कि अनुवादक शब्दावली , भाषा, सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता से हमेशा जूझता रहता है. भाषा अगर बोधगम्य नहीं है तो वह किसी काम की नहीं। 

अध्यक्षीय उद्बोधन में  कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि बैंकिंग साहित्य में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसमें रोजगार के अवसर उपलब्ध है। अनुवादक स्रोत  को लक्ष्य भाषा बनाते हैं। साहित्य जानने वाले लोगों की भाषा पर पकड़ होती है वह हर विषय पर बोल सकता है। अनुवाद  का क्षेत्र बहुत बड़ा है इसमें बहुत  काम हो रहा है और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध है।

इस अवसर पर कुलसचिव महेंद्र कुमार ने कहा कि भाषा को समझने का माध्यम अनुवाद है.  संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो अजय द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर प्रो बीबी तिवारी, प्रो अविनाश, प्रो रामनारायण, प्रो बीडी शर्मा, प्रो देवराज सिंह , डॉ  रजनीश भास्कर, डॉ नुपुर तिवारी, डॉ प्रमोद यादव, डॉ मुराद अली, डॉ श्याम कन्हैया, डॉ सुनील कुमार, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ चन्दन सिंह,डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, मंगला प्रसाद, डॉ  पुनीत धवन, प्रवीण सिंह, डॉ प्रमोद कौशिक,डॉ लक्ष्मी मौर्य, श्याम कन्हैया, सुशील प्रजापति, प्रमोद विश्वकर्मा  तमाम लोग उपस्थित रहे.

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