वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सोमवार को अमृत महोत्सव के तहत उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश के क्रम में गुरुगोविंद सिंह के साहिबजादे "महान वीर एवं सर्वोच्च बलिदानी साहिबजादा जोरावर सिंह व फतेह सिंह के अमर बलिदान को स्मरण करते हुए वीर बाल दिवस के अवसर पर एक दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सरदार गुरप्रीत सिंह ने कहा कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने सिखों के धर्म परिवर्तन नहीं करने पर जो क्रूरता दिखाई उसे सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गुरु तेग बहादुर सिंह का सिर कलम करने के बाद सिख गुरु गोबिंद सिंह के पास चल गए। इसके बाद मुगल सेना और गुरु गोविंद सिंह की सेना के बीच कई बार युद्ध हुए।
लेकिन मुगल शासक ने धोखे से माता गुजरी देवी और उनके साहिबजादों ने मौत को गले लगा लिया लेकिन भारत मां का सिर नहीं झुकने दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार वीर बाल दिवस के अवसर पर हमें याद दिलाना चाहती है कि दश गुरुओं का योगदान क्या है, देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! 'वीर बाल दिवस' हमें बताएगा कि भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है। उन्होंने कहा, ''उस दौर की कल्पना करिए! औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे। जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया।''
संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो अजय प्रताप सिंह संचालन डॉ जाह्नवी श्रीवास्तव और विषय प्रवर्तन डॉ मनोज मिश्र ने किया।
इस अवसर पर प्रो अजय द्विवेदी, प्रो. राकेश यादव, डॉ. रसिकेश, डॉ. गिरधर मिश्र, डॉ. सुनील कुमार, पुनीत धवन, रामांशु सिंह, पुनीता मौर्या, डॉ.धीरेंद्र चौधरी, अमित मिश्रा आदि लोग मौजूद थे।
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