Thursday 9 April 2015

फार्मेसी संस्थान में दो दिवसीय संगोष्ठी का हुआ समापन

स्वास्थ्य जागरूकता सत्र में ग्रामीण स्कूली बच्चों को
सम्बोधित करते प्रो ए के श्रीवास्तव 

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान द्वारा रिसेंट ट्रेंड्स इन फार्मास्यूटिकल साइंसेज (औषधि विज्ञान में नवीन प्रवृत्तियां) विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन फार्मेसी संस्थान में पोस्टर प्रस्तुतिकरण, माॅडल प्रदर्शनी एवं उपकरणों के माध्यम से औषधि निर्माण की प्रक्रिया को दिखाया गया। बाजार में उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता की भी जांच की गयी। जहां वक्ताओं ने फार्मास्यूटिकल साइंस के विभिन्न आयामों पर अपनी बात रखी वहीं ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को स्वास्थ्य जागरूकता सत्र के अंतर्गत प्रो. एके श्रीवास्तव ने गूढ़ जानकारियां दी।
प्राध्यापक धर्मेंद्र सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई पोस्टर प्रस्तुतिकरण में कुल 85 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। आरके फार्मेसी कालेज आजमगढ़, कुंवर हरिवंश सिंह फार्मेसी कालेज, प्रसाद इंस्टीच्यूट जौनपुर एवं हरिश्चंद्र पीजी कालेज फार्मेसी संस्थान वाराणसी के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। पोस्टर के माध्यम से स्वाइन फ्लू, मधुमेह, अस्थमा, इबोला वायरस, एचआईवी, हाइपरटेंशन मैनेजमेंट, एंटी बाॅयोटिक का प्रतिरोध, मिर्गी की दवाएं, फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग, हर्बल ड्रग फार ट्रीटमेंट आॅफ डाॅयबिटिज आदि विषयों पर अपने विचार रखे। प्रो. डीडी दूबे, प्रो. वीके सिंह ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया व उनके पोस्टर से सम्बन्धित तमाम सवाल पूछे। निर्णायक मंडल में डा. कार्तिकेय शुक्ला, डा. विवेक पाण्डेय, श्रीमती किरन प्रजापति, डा. राजकुमार अग्रहरि एवं राजबहादुर यादव रहे। 
संगोष्ठी में फार्मेसी के निदेशक प्रो. एके श्रीवास्तव ने फार्मेसी प्रैक्टिस नियमन 2015 पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1940 में ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट के बाद 2015 में जो नियमन आया है उसके तहत फार्मासिस्ट को अस्पताल में प्रैक्टिस करने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। हर 10 बेड पर एक फार्मासिस्ट होगा इसका इसमें उल्लेख है। इससे आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी वहीं फार्मा के क्षेत्र में नये रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
संगोष्ठी में हरिश्चंद्र पीजी कालेज फार्मेसी संस्थान वाराणसी के डा. प्रदीप कुमार ने कहा कि भारत में अवस्थित दवाओं की कम्पनी एक वर्ष में टर्न ओवर लगभग 75 हजार 542 करोड़ है, जो आने वाले समय में कई गुना हो जाएगा। 2020 तक फार्मासिस्ट की भूमिका नये दवाओं की गुणवत्ता एवं उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने में बढ़ेगी। आईआईटी बीएचयू के डा. सुनील मिश्र ने कहा कि बाजार में उपलब्ध जो प्राकृतिक दवाएं है, उन्हें डब्ल्यूएचओ मानक से परखकर ही प्रयोग में लाना चाहिए। 
      बेहतरीन प्रस्तुतिकरण करने वाले प्रतिभागियों को संगोष्ठी के समापन सत्र में पुरस्कृत किया गया। पोस्टर प्रस्तुतिकरण में एचआईवी पर पोस्टर बनाने वाले छात्र रामजीवन को प्रथम, स्वाइन फ्लू के पोस्टर पर सुरभि सिन्हा एवं फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग पोस्टर पर अनम बेग को द्वितीय स्थान मिला। माॅडल में सत्यम को प्रथम एवं धर्मपाल को द्वितीय स्थान मिला। संस्थान के प्रोफेसर एके श्रीवास्तव, आयोजन सचिव राजीव कुमार एवं नृपेंद्र सिंह ने प्रतिभागियों को पुरस्कार दिया।
विभिन्न गतिविधियों में प्रो. बीबी तिवारी, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, आलोक दास, नृपेंद्र सिंह, पूजा सक्सेना, विजय मौर्या, विनय कुमार वर्मा, सुरेंद्र सिंह, आशीष कुमार गुप्ता, डा. अवध बिहारी सिंह सहित प्रतिभागीगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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