वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान स्थित विश्वसरैया सभागार में शुक्रवार को शिक्षक सम्मान समारोह 2016 का आयोजन कर अवकाश प्राप्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय परिसर के सेवानिवृत्त हुए २० शिक्षकों को अंगवस्त्रम,धार्मिक ग्रन्थ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संजय ग़ांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो यू के मिश्र ने कहा कि शिक्षक की सेवा कभी समाप्त नहीं होती है। शिक्षक अपने ज्ञान और व्यवहार के कारण अपने विद्यार्थियों के मन में सदैव जीवित रहता है।उन्होंने कहा क़ि चरक संहिता में बताया गया है कि ज्ञान एक प्रकाश की भांति है और मस्तिष्क दृष्टि के सामान है। एक चिकित्सक और शिक्षक जिसके पास सही जानकारी और शुद्ध मन होगा वह कभी गलत कार्य नहीं कर सकता।
उन्होंने अपने उदबोधन में चिकित्सा शिक्षा के बदलते आयाम पर भी विस्तारपूर्वक अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज के वैश्वीकरण के युग में चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है।लेकिन स्वास्थ्य और चिकित्सा के लिए सरकार ने बजट में लगातार कटौती की है। जिसके कारण बढ़ती हुई जनसँख्या को स्वस्थ्य एवं निरोगी रखने के प्रयासों को धक्का लगा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध न होने के कारण चिकित्सकों की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा और शिक्षा सरकार की प्राथमिकता का क्षेत्र होना चाहिए।इसके लिए लंबे समय के परिणामों को ध्यान में रख कर निवेश किये जाने की आवश्यकता है। जिससे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं शिक्षित नागरिक विकसित किये जा सकेंगे।
अध्यक्षीय उदबोधन में शिक्षको को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि शिक्षक का दृष्टिकोण किसी बंद कमरे में कैद नहीं हो सकता।आज आप सब अपने प्रशासनिक दायित्वों से भले ही सेवा निवृत्त हुए हो लेकिन सामाजिक कर्तव्यो और सरोकार से और तेज़ी के साथ जुड़ने का समय है। उन्होंने कहा कि अपने आस-पास के विद्यालयों की स्थिति ,सर्वशिक्षा अभियान की सफलता का दायित्व अब आप सबको अपने कंधो पर लेना होगा। राष्ट्र की मजबूती और विद्यार्थियों में ज्ञान के प्रस्फुरण के लिए आप सभी घर-गाँव तथा समाज में ज्ञान का अलख जगाते रहें।
इसके पूर्व समारोह को सबोधित करते हुए शिक्षक संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव प्रकाश सिंह ने कहा कि शिक्षक समाज और राष्ट्र का निर्माता माना जाता है।समाज के निर्माण में शिक्षकों की सबसे बड़ी भूमिका रही है।आज का यह सम्मान समारोह उनकी सेवा का प्रतिफल है।उन्होंने का क़ि आज समाज में नैतिकता का ह्रास हो रहा है ऐसी स्थिति में गुरुओं का दायित्व और बढ़ जाता है।
स्वागत भाषण शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ समर बहादुर सिंह एवं धन्यवाद् ज्ञापन महामंत्री डॉ विजय कुमार सिंह ने किया । कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ आशुतोष सिंह ने किया।
इस अवसर पर प्रो डी डी दुबे,वित्त अधिकारी एम के सिंह, डॉ यू पी सिंह, डॉ लालजी त्रिपाठी,डॉ राकेश सिंह, डॉ अनिल सिंह,डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ राजेंद्र सिंह,डॉ राकेश सिंह, डॉ राम मोहन सिंह, डॉ रामासरे शर्मा,डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर,डॉ अजय द्विवेदी,डॉ नूपुर तिवारी,डॉ राजकुमार,डॉ संतोष कुमार,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ सुनील कुमार,अमित वत्स, डॉ के एस तोमर,डॉ प्रमोद सिंह कौशिक,श्याम त्रिपाठी,संजयश्रीवास्तव,अशोक सिंह,रजनीश सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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