Wednesday 19 April 2017

सामाजिक समरसता में पूर्वांचल का योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

10/04/2017

 विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में सोमवार को भारत समरसता मंच एवं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सामाजिक समरसता में पूर्वांचल का योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महात्मा ज्योतिबा फूले के जन्मदिवस के उपलब्ध में आयोजित की गयी। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध सामाजिक चिन्तक एवं विचारक इन्द्रेश कुमार ने कहा कि आज कट्टर नहीं, नेक, अच्छे और सच्चे इंसान बनने की जरूरत है। हर एक जाति में ईश्वर का वास होता है। इसलिए हम सभी को जाति, द्वेष व दंश से मुक्त होकर सबका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि छूआछूत अधर्म है और समानता धर्म है। आज समरसता युक्त, तलाक मुक्त भारत की जरूरत है। हमारे सामाजिक संरचना में जन संस्कृति के पुरोधा रहे रामायण एवं महाभारत के रचयिता बाल्मिकी एवं वेद व्यास सामाजिक समरसता के मूल में थे।
बतौर विशिष्ट अतिथि श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके पाण्डेय ने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में समरसता है। समाज में इसका अनुसरण न होने के कारण आज लोलुपता का विकास हो गया है। ज्ञान प्राप्ति सामाजिक समरसता का मूल था। उन्होंने कहा कि जो व्यवहार स्वयं को अच्छा न लगे वह दूसरे के साथ नहीं करना चाहिए।
विषय प्रवर्तन करते हुए पूर्व कुलपति प्रो. पीसी पातंजलि ने कहा कि ज्योतिबा फूले समाज के कमजोर वर्ग के होने के बाद भी विपरीत परिस्थितियों में समाज को सुधारने में बड़ी भूमिका अदा की। वह सामाजिक भेदभाव, अंधविश्वास को दूर करने में सदैव सक्रिय रहे। उन्होंने नारियों को पुरूषों की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ माना।
बतौर विशिष्ट अतिथि बारीमठ के जनसंत योगी देवनाथ ने कहा कि पूर्वांचल की धरती का सामाजिक समरसता में बड़ी भूमिका रही है। भगवान राम अयोध्या से निकलकर हर वर्ग के लोगों को लगे लगाया। आज स्वार्थ, वासना, अज्ञान व अहंकार के कारण मनुष्य एक-दूसरे को छोटा समझने लगा है।
बतौर मुख्य अतिथि शायर एवं चिंतक अहमद निसार ने अपने गीत मैं दरिया हूं सबकी प्यास बुझाता हूं, मैं क्या जानू हिन्दू-मुस्लिम... के माध्यम से सामजिक समरसता का संदेश दिया। 
अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व कुलपति प्रो. यूपी सिंह ने कहा कि पूर्वांचल संतों व महात्माओं की भूमि रही है। कबीर, रैदास, गोरक्ष नाथ, भगवान बुद्ध, महावीर, रामानन्द जैसे अनेक लोगों ने इस क्षेत्र विशेष की सामाजिक समरसता के लिए अपना जीवन अर्पित किया है। सामाजिक विकास व उत्थान के लिए हम सबको एकजुट होकर सबके प्रति समभाव रखना होगा।
कार्यक्रम में सम्पादक कैलाश नाथ, डॉ. विमला सिंह, संजय सेठ, निसार अहमद, डॉ. कमर अब्बास एवं राजीव श्रीवास्तव को सामाजिक समरसता के लिए सम्मानित किया गया। डॉ. पीसी पातंजलि की कृति ‘‘बाबा साहब के सपनों का भारत’’ विषयक पुस्तक का विमोचन भी हुआ।
संयोजक डॉ. मानस पाण्डेय ने गोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। स्वागत डा. अविनाश पाथर्डीकर, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमित वत्स एवं संचालन डॉ. एचसी पुरोहित ने किया। इस अवसर पर प्रो. डीडी दूबे, प्रो. बीबी तिवारी, कुलसचिव डॉ. देवराज, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. अजय प्रताप सिंह, डॉ. राधेश्याम सिंह, डॉ. राजीव सिंह, प्रो. मुन्नी लाल, डॉ. पीसी विश्वकर्मा, डॉ. वीडी शर्मा, अशोक सिंह, कृष्ण कुमार जायसवाल, डॉ. अरूण कुमार सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. मनोज वत्स, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. आलोक सिंह, संतोष सिंह, अंशू सिंह, डॉ. केएस तोमर, डॉ. पीके कौशिक आदि उपस्थित रहे।


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