वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में संकाय भवन स्थित कांफ्रेंस हाल में अध्यात्म एवं जीवन प्रबंधन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारियों का आध्यात्मिक उन्नयन करना है।कार्यशाला के मुख्य अतिथि , विषय विशेषज्ञ हरिद्वार देव संस्कृति विश्वविद्यालय के डॉ गोपाल कृष्ण शर्मा ने कहा कि वर्तमान में एकल परिवारों में तनाव आम बात हो गयी है जबकि पहले संयुक्त परिवारो में ऐसा नही था। आज हम अध्यात्म को अपना कर अवसान रहित जीवन जी सकते है और व्यक्तित्व को सकारात्मक बना सकते है।उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपतिप्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि आध्यात्म को अपनाकर हम सहज जीवन जी सकते हैं।योग हमारी पुरानी परंपरा है।नियमित योगाभ्यास हमे बहुत सारी समस्याओं से निजात दिलाता है।अध्यक्षता करते हुए
प्रो धरणीधर दुबे ने कहा कि विलासिता पूर्ण जीवन सारी समस्याओं की जड़ है।हमें आध्यात्म से शारीरिक ही नही मानसिक संतुष्टि भी मिलती है। कार्यशाला केआयोजन सचिवडॉ अविनाश पाथर्डीकर नें कार्यशाला के उद्देश्य और औचित्य पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों के चलते रहने से नई सीख मिलती है।हरिद्वार से आये विषय विशेषज्ञ डॉ पंकज चंदेल ने तकनीकी सत्रों में आध्यात्म और जीवन पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर प्रो एके श्रीवास्तव, डॉ वी डी शर्मा, कुलसचिव डॉ देवराज, डॉ आशुतोष सिंह, डॉ अमित वत्स, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ राम नारायण, डॉ एस पी तिवारी, डॉ सुधीर डॉ संजय श्रीवास्तव, श्री एमएम भट्ट, श्री राजनारायण सिंह, डॉ धर्मशीला गुप्ता सहित परिसर के कर्मचारी, शिक्षक एवं परिवार गण मौजूद रहे।स्वागत डॉ धर्मेंद्र सिंह एवं संचालन डॉ अविनाश पाथर्डीकर द्वारा किया गया।
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कार्यशाला समापन
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन स्थित कांफ्रेंस हाल में अध्यात्म एवं जीवन प्रबंधन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का समापन शनिवार को किया गया। कार्यशाला के प्रतिभागियों ने ऐसे आयोजन के लिए आयोजन मंडल को धन्यवाद ज्ञापित किया और अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह कार्यशाला शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारियों के आध्यात्मिक उन्नयन में महत्वपूर्ण है ।
तकनीकी सत्र में व्यक्तित्व के चार आयामों भौतिक मानसिक सामाजिक आध्यात्मिक तथा अध्यात्म एवं आत्म प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि आध्यात्मिक व्यक्तित्व ही शेष तीनो आयामों को संभालता है। तकनीकी सत्र में योग की क्रियाएं करवाई गयीं। इस अवसर पर सानंद जीवन जीने हेतु एक वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया ।
समापन सत्र में आयोजन सचिव डॉ अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि जीवन में संतुष्टि से बढ़ कर कुछ नहीं है। जीवन में हमेशा कुछ प्राप्त करने की होड़ ने हमे तनाव ग्रस्त कर दिया है परिणामतः आज रिश्ते -नाते टूट रहे हैं। धन लिप्सा सारे समस्याओं की जड़ है। विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षक एवं कर्मचारियों के परिवार के आध्यात्मिक एवं मानसिक उन्नयन के लिए आने वाले समय मे भी विवि इस प्रकार का आयोजन करेगा। कर्मचारी संघ के पूर्व उपाध्यक्ष सुशील प्रजापति ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के अंत में मोमबत्ती जलाकर संकल्प लिया कि आत्मदीपो भव होकर एक प्रकाशपुंज की तरह वे परिसर में कार्य करते रहेंगे ।
इस अवसर पर प्रोफ़ेसर डीडी दुबे , प्रो एके श्रीवास्तव, डॉ वी डी शर्मा, कुलसचिव डॉ देवराज, डॉ आशुतोष सिंह, डॉ अमित वत्स, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ राम नारायण, डॉ एस पी तिवारी,डॉ सुधीर डॉ संजय श्रीवास्तव, श्री एमएम भट्ट, श्री राजनारायण सिंह, डॉ धर्मशीला गुप्ता सहित परिसर के कर्मचारी, शिक्षक एवं परिवार गण मौजूद रहे।संचालन डॉ अविनाश पाथर्डीकर ने किया ।
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