Thursday 27 April 2017

लोगों की आशा का केंद्र है विश्वविद्यालय- प्रो. पीयूष

समारोह कर शिक्षकों ने दी विदाई, बताया स्वर्णिम कार्यकाल

विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने बुधवार की शाम परिसर में समारोह आयोजित कर कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल को विदाई दी। अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया गया। उनके कार्यकाल को एक स्वर्णिम काल बताते हुए वक्ताओं ने अपने अनुभवों को साझा किया।
प्रो. डीडी दुबे, प्रो. बीबी तिवारी, वित्त अधिकारी एमके सिंह, कुलसचिव डा. देवराज, प्रो. संगीता साहू, डा. मनोज मिश्र, डा. एके श्रीवास्तव, डा. अमित वत्स व विनय वर्मा ने कुलपति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा की। कहा कि उन्होंने सिस्टम में सुधार किया। कार्यकाल में नैक मूल्यांकन, परीक्षा एवं रिजल्ट सुधार, खिलाड़ी सम्मान समारोह, शैक्षणिक वातावरण निर्माण, शोध अनुसंधान के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए। संस्था का विकास सर्वोपरि रखा। विश्वविद्यालय के हर बिंदु को समझने में अपना महत्वपूर्ण समय दिया। सरल व्यक्तित्व आपकी पहचान है। सभी के दुख-दर्द को समझा, हर संभव मदद की। 
कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि मेरा इसमें कुछ नहीं है। सभी के सहयोग से संभव हुआ। जब आप किसी संस्थान को समृद्ध करते हैं तो वह आपके व्यक्तित्व को भी बढ़ाता है। सभी को साथ लेकर चलने की आदत डालनी चाहिए। यदि आपमें जागरूकता व चाह है तो मंजिल जरूर मिलेगी। विश्वविद्यालय लोगों की आशा का केंद्र है। ज्ञान का मंदिर है। इससे समाज को प्रकाशित करें। सबको आपसे आशाएं हैं। सामाजिक संरचना में आपको जान पहचान बनाए बगैर समस्याओं से निजात नहीं मिलने वाली। विद्यार्थियों को प्रयोगशालाओं में अधिक व्यस्त रखें, उन्हें कुछ नया दें। आप सर्वश्रेष्ठ रहें यह भाव सदा मन में हो। संभावनाओं की तलाश हमेशा जारी रखें। सभी को जिम्मेदारियों से मैंने जोड़े रखा। इसका उद्देश्य यही था कि एक ओर जहां संस्थान को गति मिले, दूसरी ओर आप परिसर के प्रत्येक बिंदु से जुड़ सकें। मन में सदा सोचें कि हम समाज व संस्थान को क्या दे रहे हैं। इस अवसर पर कुलपति की पत्नी प्रतिभा अग्रवाल, डा. मानस पांडेय, डा. बीडी शर्मा, उपकुलसविच संजीव सिंह, डा. टीबी सिंह, डा. राम नारायन, डा. वंदना राय, डा. अजय द्विवेदी, डा. प्रदीप कुमार, डा. राजकुमार, संजीव गंगवार, डा. रसिकेश, डा. सुनील कुमार, डा. सुशील कुमार सिंह, धर्मेंद्र सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. परमेंद्र सिंह, आलोक दास, डा. विवेक पांडेय, डा. केएस तोमर, सुबोध पांडेय, लक्ष्मी प्रसाद मौर्या आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. अविनाश पाथर्डिकर व धन्यवाद डा. आशुतोष सिंह ने किया। 

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