विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के द्वारा संकाय भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में उत्सव एवं प्रदूषण विषयक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। बतौर वक्ता अंबेडकर महाविद्यालय दीक्षाभूमि, नागपुर की प्रोफेसर अर्चना मेश्राम ने कहा कि त्योहारों को खुशियों के लिए मनाएं न कि प्रदूषण फैलाने के लिए। अगली पीढ़ी को साफ सुथरा पर्यावरण देना हमारा कर्तव्य है। हमारे देश में दीपावली के समय वायु प्रदूषण और और मूर्ति विसर्जन के कारण जल प्रदूषण की समस्या बड़े स्तर पर सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि पटाखे अशांति फैलाने के साथ तमाम प्रकार के रोगों का कारण बनते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि त्यौहारों की उत्पत्ति बहुत ही सात्विक तरीके से मनाये जाने की सुनिश्चितता थी । जिसमें मानवता एवं प्रज्ञा शीलता की प्रधानता थी परंतु पाश्चात्य दर्शन के कारण भारत जैसे देश में विभिन्न तरह की कुरीतियों का प्रादुर्भाव सहज देखने को मिल रहा है जिसमें त्यौहार की वास्तविकता अपने मूल रूप से परे हो गई है। मंदिरों की घंटियां, अनेक वृक्षों का संरक्षण,अनेक नदियों का संरक्षण , हमारे त्यौहार की प्रमुखता रही है। अपभ्रंश त्यौहार से ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण जैसी चीजों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने महाराष्ट्र की सती व्रत कथा का उल्लेख करते हुए चिंता जाहिर की पहले महिलाएं बरगद के पेड़ को रक्षा बांधती थी। आज बरगद की टहनियों को घरों में ले जाकर लोग पूजा कर रहीं है। स्वागत विज्ञान संकाय की अध्यक्ष प्रो वंदना राय एवं धन्यवाद डॉ सुधीर उपाध्याय ने व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रोफेसर विलासराव तभाने, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ सुधांशु यादव, डॉ प्रभाकर समेत विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 विवेक कुमार पांडेय ने किया।
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