गुरुवार 21 अप्रैल को विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड डेवलपमेंट और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सेमिनार जूनोटिक डिजीज और पब्लिक हेल्थ इंपोर्टेंस की अध्यक्षता कर रही कुलपति प्रो. निर्मला एस मौर्य ने कहा की ये सेमिनार वर्तमान परिपेक्ष्य में बहुत ही प्रासंगिक है। उन्होंने बहुत सारे पशुजन रोगों का उदाहरण देते हुए कहा की हमे सतर्क व सावधान रहने की आवश्यकता है व इस विषय पर सेमिनार होते रहने चाहिए। उन्होंने एक कविता के माध्यम से कोविड के समय को भी सकारात्मक रूप से लेने के लिए कहा की कभी कभी जीवन में खामोशी भी चाहिए।सी सी एच एफ जिसे क्रिमियन कांगो रक्तस्रवी बुखार कहा जाता हैं यह वायरस गंभीर वायरल रक्तस्रवि बुखार के प्रकोप का कारण बनता है । यह वायरस मुख्य रूप से टिक और पशुओं से लोगो में फैलता है। यह वायरस हायलोमा टिक से पैदा होता है , मनुष्य के संपर्क से भी यह वायरस फैलता है । घर पर पाले जाने वाले पशुओं के चमड़ी से चिपके रहने वाला हिमोरल नामक परजीवी कांगो रोग का वाहक है । इस लिए इसकी चपेट में आने का खतरा उन लोगो को ज्यादा रहता है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि के संपर्क में रहते है इसके मुख्य लक्षण सर दर्द, बदन दर्द और रक्तस्राव हैl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर डी टी मौर्य आई सी एम आर चेयर फॉर वायरोलॉजी एंड जूनोसेस आई सी एम आर डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, नई दिल्ली l डॉक्टर डी टी मौर्य सर ने सेमिनार में बताया कि जब वो जानवरों पर सी सी एच एफ का टेस्ट कर रहे थे तो जो लक्षण जानवरों में मिला उसके बाद यह लक्षण मानवों में भी पाया गया जो उनके लिए भी आश्चर्य जनक था । सी सी एच एफ के प्रकोप में मृत्यु दर 30 से 60 प्रतिशत है । इस वायरस का लोगो या जानवरों के लिए कोई भी टीका उपलब्ध नही हैबायो सेफ्टी लेवल 3 और 4 लैब दुनिया में चुनिंदा जगहों पर ही है, जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी एक है। सेंटर फॉर डिजिज कन्ट्रोल एण्ड प्रिवेंशन ने बायो सेफ्टी लैब को 4 श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें CCHF रिस्क ग्रुप 4 में आता है। हमारे पास मौजूदा माइक्रोबियल कंटेनमेंट काम्प्लेक्स में पहले से ही एक बी एस एल 3+ प्रयोगशाला है, लेकिन बी एस एल 4 के साथ हमारे पास अटलांटा में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के बराबर दुनिया की सबसे अच्छी प्रयोगशाला होगी, डी टी मौर्य (आई सी एम आर, चेयर फॉर वायरोलाॅजी एण्ड जूनोसिस) ने हमें बताया और उन्होंने पहले से ही ऐसे लोगों को प्रशिक्षित किया है जिनकी इस प्रयोगशाला तक पहुंच होगी। कार्यक्रम की संयोजक- प्रोफेसर वंदना राय, आयोजन सचिव- डॉ प्रदीप कुमार, आई क्यू एसी- प्रोफेसर मानस पाण्डेय और विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलाॅजी प्रोफेसर राम नरायन थे
कार्यक्रम की संयोजक- प्रोफेसर वंदना राय, आयोजन सचिव- डॉ प्रदीप कुमार, आई क्यू एसी- प्रोफेसर मानस पाण्डेय और विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलाॅजी प्रोफेसर राम नरायन थेl
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