कार्यक्रम में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि 26 नवंबर 1949 का वह ऐतिहासिक पल था जब स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने संविधान को विधिवत रूप से अपनाया और देश के कामकाज में 26 जनवरी 1950 से इसको प्रभावी ढंग से लागू किया . यह भारत का सर्वोच्च विधान है. भारत का संविधान हमें स्वतंत्रता से जीवन जीने, समानता के लिए मूलभूत कर्तव्य की व्याख्या करता है. आज़ाद भारत में उत्तरोत्तर महिला सशक्तिकरण को मजबूती देने वाला हमारा संविधान ही है.
विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई संविधान की प्रति देखी. डॉ. विद्युत् मल ने विस्तार से संविधान के बारे में बताया.मिशन शक्ति की समन्वयक डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाओं को संविधान में पुरुषों के समान ही मौलिक स्वंत्रताएं तथा अधिकार दिए गये हैं. संविधान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को निषेध किया गया है। महिलाएं अपने संवैधानिक अधिकारों को जाने बिना मजबूत नहीं हो सकती. इस अवसर पर डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. शशिकांत, डॉ. राजीव कुमार, डॉ आशीष गुप्ता, डॉ विजय बहादुर मौर्य, डॉ. पूजा सक्सेना, डॉ. झाँसी मिश्रा, जया शुक्ला समेत अन्य लोग उपस्थित
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