रज्जू भैया समर्पण की प्रतिमूर्ति : अजीत
संघ के विभाग प्रचारक अजीत जी ने रज्जू भैया के साथ अपनी यादों को साझा किया
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रज्जू भैया संस्थान में रज्जू भैया की जयंती के अवसर पर कुलपति प्रो वंदना सिंह ने रज्जू भैया की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। प्रो. वंदना सिंह ने रज्जू भैया जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रज्जू भैया प्रयागराज विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर थे। इसी के साथ बचे हुए समय को उन्होंने समाज के साथ समर्पित कर दिया था। इस अवसर पर कुलसचिव महेंद्र कुमार, वित्त अधिकारी संजय राय, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, प्रो. मिथिलेश सिंह, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. श्याम कन्हैया आदि लोग उपस्थित थे।इसके बाद रज्जू भैया संस्थान में प्रो राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) की जन्मजयंती पर स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जौनपुर विभाग के विभाग प्रचारक अजीत ने कहा कि प्रो राजेंद्र सिंह सरलता, सहजता व आत्मीयता के प्रतिमूर्ति थे। इसी कारण लोग प्रो राजेंद्र सिंह को प्यार से रज्जू भैया कहते थे। उन्होंने रज्जू भैया के जीवन के ऊपर विस्तार से प्रकाश डाला। अजीत जी ने रज्जू भैया के साथ अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने रज्जू भैया के राजनीतिक प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि नानाजी देशमुख रज्जू भैया से प्रभावित होकर चित्रकूट में ग्रामोदय का कार्य प्रारंभ किया। सन 1966 में प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) ने प्रयाग विश्वविद्यालय के भौतिक शास्त्र के विभागाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया। तत्पश्चात् वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जीवनव्रती प्रचारक के रूप में उस पथ के पथिक बनकर संघ कार्य में अहर्निश सक्रिय हो गए। रज्जू भैया बाद में 1994 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक बने। उन्होंने एक शिक्षक, स्वयंसेवक, प्रचारक से लेकर सरसंघचालक तक की महती जिम्मेदारियों को बड़ी सहजता और सरलता के साथ निभाया। व्याख्यान में प्रो. अविनाश पाथर्डीकर ने भी रज्जू भैय्या के जीवन पर प्रकाश डाला। अतिथियों का स्वागत रज्जू भैया संस्थान के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार यादव ने किया। व्याख्यान का विषय प्रवर्तन डॉ नितेश जायसवाल ने किया किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डॉ राज कुमार, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ. सुनील कुमार, डॉ मनीष प्रताप सिंह, डॉ. श्याम कन्हैया, डॉ. जाहन्वी श्रीवास्तव, डॉ श्रवण कुमार, डॉ आलोक वर्मा, डॉ मनोज पांडे, डॉ नवीन चौरसिया, डॉ दिनेश सिंह, डॉ इंद्रजीत और अन्य शिक्षक तथा सभी शोध छात्र उपस्थित रहे।
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