कुलसचिव डॉ बी के पाण्डेय ने कहा कि विश्वविद्यालय के सरे कर्मचारी नई सोच के साथ प्रगति के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार है.इस अवसर पर सुरक्षा कर्मियों को अच्छे कार्य के लिए मेडल प्रदान किया गया.इस अवसर पर प्रो डी डी दुबे, डॉ अजय प्रताप सिंह,डॉ मानस पाण्डेय, डॉ एच सी पुरोहित , डॉ अविनाश पार्थिडकर, डॉ अजय द्विवेदी, डॉ प्रदीप कुमार,डॉ मनोज मिश्र, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ के एस तोमर,अमलदार यादव, श्याम त्रिपाठी समेत विश्वविद्यालय के तमाम सदस्य,विद्यार्थीगण उपस्थित रहे.
Tuesday, 27 January 2015
नई पीढ़ी की आशाओं के अनुरुप विश्वविद्यालय भरें रंग -कुलपति
Saturday, 24 January 2015
पूर्वांचल विश्वविद्यालय का 18वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह का आयोजन शनिवार को संगोष्ठी भवन में हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व महानिदेशक डीआरडीओ एवं नीति आयोग के सदस्य पद्म भूषण डा. वीके सारस्वत एवं अध्यक्षता कुलाधिपति एवं राज्यपाल राम नाईक ने की। दीक्षांत समारोह में स्नातक एवं स्नातकोत्तर विषय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले कुल 51 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किया गया।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि पद्म भूषण डा. वीके सारस्वत ने कहा विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में जो भी कार्य एवं शोध हो रहे है वह देश की संस्कृति और जीवन शैली को ध्यान में रखकर किया जाय तभी इसका लाभ भारतीयों को मिल पाएगा और यही महात्मा गांधी की भी सोच थी।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा आज हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है इसे पूरा करने के लिए हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे है। उन्होंने देश के लिए वर्तमान में अति आवश्यक रक्षा तकनीकी उत्पादन एवं संक्रियात्मक तथा ज्ञान आधारित तकनीकों एवं जैव तकनीकी, नैनो इलेक्ट्रानिक एवं नैनो जैव तकनीकी विषयों की आवश्यकताओं पर बल दिया।
अपने सारगर्भित उद्बोधन में डा. सारस्वत ने एयरोस्पेस टेक्नोलाॅजी की चुनौतियों के बारे में भारत वर्ष के परिपेक्ष्य में चर्चा की। भारत के लिए विज्ञान और तकनीकी के प्रेरणास्रोत डा. सीवी रमन, डा. भटनागर, डा. भाभा, डा. विक्रम साराभाई के योगदानों की चर्चा की। स्वस्थ्य भारत के विकास के लिए उन्होंने उचित वातावरण एवं पर्यावरण की आवश्यकता पर बल दिया।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्होंने स्पेस टेक्नोलाॅजी, पुर्नउपयोगी प्रक्षेपण यान, हाईपाॅवर प्लेन, अंतरिक्ष सोलर पाॅवर, अंतरिक्ष सुरक्षा एवं एयर ट्रांसपोर्टेशन जैसे तकनीकी पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, मानव रहित सूक्ष्म हवाई जहाजों इत्यादि की देश में उत्पादन किये जाने की चर्चा की।
डा. सारस्वत ने अपने विद्वतापूर्ण उद्बोधन में विज्ञान एवं रक्षा क्षेत्र में भविष्य में प्रयोग होने वाली प्रौद्योगिकी का भी जिक्र किया जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी एवं कनवर्जन, मेम्स एवं नैनो टेक्नोलाॅजी, स्मार्ट मैटेरियल, नेटवर्क सेंटरिक वारफेयर आदि प्रमुख रही। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव नेटवर्किंग माॅडल का भी जिक्र किया जिसमें विश्वविद्यालय एवं उद्योगों के माॅडल तथा विश्वविद्यालय शोध एवं विकास संस्थाओं के नेटवर्किंग माॅडल के बारे में जानकारी दी।
अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रदेश के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राम नाईक ने कहा कि जो अपने अतीत को भूल जाता है वह समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता। हमें अपने पूर्वजों और इतिहास से सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, इसका लाभ अमेरिका और इंग्लैण्ड जैसे विकसित देश उठा रहे है। जब भारतीय विदेशों में इलाज कराने के लिए जाता है तो वहां भी भारतीय चिकित्सक के रूप में मिलता है। ऐसे लोगों को हमारे देश में अभी बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विश्वविद्यालयों से हम बराबरी कैसे करें इस बात पर हमें चिंतन करना होगा।
उन्होंने कहा कि 18वें दीक्षांत समारोह मनाने के बाद यह विश्वविद्यालय अब वयस्क हो गया है। यहां के विद्यार्थी खुले आसमान में जा रहे है, नई उड़ान की तैयारी है। अब उन्हें अपने कैरियर के लिए प्रतिस्पर्धा करनी होगी। जीवन में सफल होने के लिए विद्यार्थियों को उन्होंने अपने सफलता के चार मंत्रों को बताया मुस्कुराते रहे, तारीफ करना सीखे, किसी की अवमानना न करे जो भी अच्छा करें उससे और अच्छा करने की आदत डालें। विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में उपाधिधारकों को दिये जाने वाले गणवेश के लिए उन्होंने बधाई दी। कुलाधिपति ने अपने उद्बोधन में महिला शक्ति को प्रमुखता देते हुए छात्रों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होने की बात कही। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह आपके शैक्षणिक जीवन का प्रारम्भिक सोपान है जिस पर चढ़कर आप अपने व्यक्तित्व को निरन्तर प्रखर बनायंेगे तथा संगठनों अथवा व्यवसायों में निष्ठा पूर्वक कार्यरत रहते हुऐ उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। आपकी यह निष्ठा नये युग का निर्माण करने में सहायक होगी। आप सदैव जनहित एवं राष्ट्रहित में कार्य करेंगे, यह हम सभी की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल एक शैक्षणिक संस्थान है बल्कि बौद्धिक एंव चारित्रिक चेतना के निर्माण का एक केन्द्र भी है। आधुनिक प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयांे, कक्षाओं, योग्य शिक्षकों के मार्गदर्शन, उपयुक्त प्रशिक्षण एवं पाठ्येत्तर गतिविधियों में उनकी तल्लीनता बहुॅमुखी विकास के रास्ते को प्रशस्त कर सकती है।
स्वामी विवेकानन्द के वक्तव्य का उद्धरण किया। कहा कि ‘‘साहसी होकर काम करो। धीरज और स्थिरता से काम करना-यही एक मार्ग है। आगे बढ़ो और याद रखो धीरज, साहस, पवित्रता और अनवरत कर्म। जब तक तुम पवित्र होकर अपने उद्देश्य पर डटे रहोगे, तब तक तुम कभी निष्फल नहीं होवोगे। उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।’’ यह वचन आज आपके लिए उपदेश है। इसे अपने जीवन में उतारो, मंजिल स्वयं प्राप्त होती चली जायेगी। समारोह के अंत में मुख्य अतिथि को कुलाधिपति राम नाईक ने स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् प्रदान किया। कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कुलाधिपति को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् देकर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की।
दीक्षांत समारोह के शोभा यात्रा की अगुवाई कुलसचिव डा. बीके पाण्डेय ने की।
इस अवसर पर कार्य परिषद, विद्या परिषद के सदस्यगण पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद, पूर्व कुलपति प्रो. कीर्ति सिंह, पूर्व सांसद कमला प्रसाद सिंह, विधायक सीमा द्विवेदी वित्त अधिकारी अमरचंद्र, उपकुलसचिव संजय मल्ल, नारायण प्रसाद, पूर्व विधायक सुरेंद प्रताप सिंह, डा. अजय प्रताप सिंह, अशोक सिंह, डा. घनश्याम सिंह, डा. राजीव सिंह, डा. अनिल प्रताप सिंह, डा. एसपी ओझा, प्रो. डीडी दुबे, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. रामजी लाल, डा. एके श्रीवास्तव, डा. मानस पाण्डेय, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. संगीता साहू, डा. प्रदीप कुमार, डा. मनोज मिश्र, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, पंकज सिंह, सहित कई लोग मौजूद रहे।समारोह का संचालन एचसी पुरोहित ने किया।
गुलाब के फूल से हुआ अतिथियों का स्वागत
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह में संगोष्ठी भवन में पहुंचते ही विश्वविद्यालय के कर्मचारी अमलदार यादव एवं जगदम्बा मिश्रा आने वाले समस्त अतिथियों का स्वागत गुलाब के फूल से किया।
विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर लाइव रहा दीक्षांत समारोह
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को इस बार इंटरनेट के माध्यम से लाइव किया गया। जिसे विभिन्न हिस्सों में लोगों ने देखा।
Friday, 23 January 2015
दीक्षांत समारोह की तैयारियां पूरी, २४ जनवरी को ५४ विद्यार्थियों को राज्यपाल देंगे स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह को सम्पन्न कराने के लिए बनायी गयी समितियों के संयोजकों से कुलपति ने रिपोर्ट ली। महाविद्यालयों से आये हुए रंग बिरंगें झंडों से पूरा विश्वविद्यालय परिसर सजा गया है। दीक्षांत समारोह की तैयारियों में उपकुलसचिव संजय कुमार, नारायण प्रसाद, डा. मानस पाण्डेय, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. वंदना राय, डा. केएस तोमर, अमलदार यादव, श्याम त्रिपाठी, अशोक सिंह, पीके कौशिक समेत तमाम कर्मचारी, अधिकारी, शिक्षक लगे रहे।
दीक्षांत पूर्व विशेष व्याख्यान माला सम्पन्न
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह के पूर्व विभिन्न संकायों में विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। 21 जनवरी से प्रारम्भ हुए दीक्षांत समारोह के पूर्व विशेष व्याख्यान की श्रृंखला मोती लाल नेहरू एनआईटी इलाहाबाद के निदेशक प्रो. पी. चक्रवर्ती के इंजीनियरिंग संस्थान में ‘माइक्रोइलेक्ट्रानिक्स से लेकर नैनो इलेक्ट्रानिक्स’ तक की यात्रा विषय पर दिये गये व्याख्यान से सम्पन्न हुई।
प्रो. चक्रवर्ती ने कहा कि इलेक्ट्रानिक्स के प्रादुर्भाव निर्वात वाल्ब से लेकर फोटोनिक्स डिवाइसेस तक के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विश्व के तमाम वैज्ञानिकों के सांझा शोध द्वारा राडार, संचार एवं मेडिकल के तमाम उपकरण सामने आये। 1998 में टेक्सास इन्स्ट्रूमेंट अमेरिका के वैज्ञानिक किल्बी ने चिप का आविष्कार कर इलेक्ट्रानिक के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी। वैज्ञानिक किल्बी को इस शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।
प्रो. चक्रवर्ती ने मूरे लाॅ का जिक्र करते हुए इलेक्ट्राॅनिक के क्षेत्र में चिप की नाप और समय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्राॅनिक्स में साइज जितनी छोटी होगी उसकी कार्यशीलता उतनी बढ़ती जाती है। इस प्रकार से नैनो टेक्नोलाॅजी का प्रादुर्भाव होता है। व्याख्यान के प्रारम्भ में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने प्रो. चक्रवर्ती का स्वागत किया एवं उनका परिचय कराया। संकायाध्यक्ष इंजीनियरिंग प्रो. बीबी तिवारी ने प्रो. चक्रवर्ती का बाॅयोडाटा प्रस्तुत किया। व्याख्यान में डा. एके श्रीवास्तव, डा. एचसी पुरोहित, डा. मानस पाण्डेय, डा. संतोष, डा. राजकुमार, डा. राजकुमार, रविप्रकाश, शैलेश, अजय मौर्या एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
गुरूवार को सामाजिक विज्ञान संकाय में मनोसांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में संचार विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित हुआ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के आचार्य डा. आरसी मिश्रा ने कहा कि संचार हमारे मनोविज्ञान से जुड़ा हुआ है और उसको परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सम्प्रेषण में संदेश का अर्थ देश, काल व परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तित होता रहता है। उन्होंने संचार कौशल से जुड़े तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही आदिवासियों पर किये गये अपने शोध के निष्कर्षों को भी रखा। इसी क्रम में बीएचयू की प्राध्यापिका डा. पूर्णिमा अवस्थी ने मनोविज्ञान एवं संचार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बतायी। संकायाध्यक्ष प्रो. रामजी लाल ने स्वागत एवं डा. अजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुनील कुमार आदि उपस्थित रहे।
वहीं गुरूवार को विज्ञान संस्थान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं रोग प्रतिरोधी क्षमता तथा मानव स्वास्थ्य विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में लखनऊ विश्वविद्यालय के बाॅयोटेक्नोलाॅजी विभाग के प्रो. एस. मल्होत्रा ने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार का ज्ञान होना सबके लिए जरूरी है। उन्होंने बिल गेट्स एवं जापान की आॅटो मोबाइल कम्पनियों का उदाहरण देते हुए बताया कि पेटेंट ज्ञान के चलते ही आज पूरी दुनिया में इनका वर्चस्व है। उन्होंने रोग प्रतिरोधी विज्ञान को सरलता से विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत किया एवं कतिपय टीकाकरण की चर्चा की। संचालन एवं स्वागत प्रो. वीके सिंह ने किया। इस अवसर पर डा. वंदना राय, डा. प्रदीप कुमार सहित समस्त विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फार्मेसी संस्थान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं परम्परागत ज्ञान विषय पर एनबीआरआई लखनऊ के वैज्ञानिक डा. सीएचवी राव ने विद्यार्थियों के समक्ष इस विषय पर व्याख्यान दिया। प्रबंध संकाय संस्थान में प्रबंधन एवं भगवत गीता विषय पर देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय के प्रो. पीएन मिश्रा ने बहुत रोचक तरीके से अपनी बात रखी।
विश्वविद्यालय परिसर में मनायी गयी नेताजी की जयंती
'नेताजी का देश के प्रति समर्पण हमें बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा देता है'
Monday, 12 January 2015
स्वामी जी ने शताब्दी पूर्व भारत की आत्मा को विश्व की आत्मा से जोड़ा- कुलपति
विश्वबंधुत्व मे विवेकानन्द का सबसे बड़ा योगदान
विवेकानन्द की मूर्ति पर कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल एवं उपस्थित समस्त प्राघ्यापकों तथा कर्मचारियों द्वारा माल्र्यापण कर पुष्पांजलि अर्पित किया गया। इस अवसर पर डाॅ0 ए0 के0 श्रीवास्तव, डाॅ0सगीता साहू डाॅ0 नुपुर तिवारी, डाॅ0संदीप सिंह, डाॅ0 संजीव गंगवार, डाॅ0रजनीश भाष्कर, डाॅ0राजेश शर्मा, डाॅ0 आशुतोष सिंह, डाॅ0रवि प्रकाश, डाॅ0अवध बिहारी सिंह, डाॅ0दिग्विजय सिंह राठौर, डाॅ0सुशील कुमार, डाॅ0 विनय वर्मा, डाॅ0के0एस0तोमर, श्याम त्रिपाठी,पंकज सिंह,अवधेश प्रसाद, द्विजेन्दु उपाध्याय, मनु मिश्रा सहित प्रशिक्षु पुस्तकालय सहायक उपस्थित रहे।
Friday, 2 January 2015
विश्वविद्यालय में पौधरोपित कर छात्रों ने मनाया नया वर्ष
डॉ अजय प्रताप सिंह ने कनेर के पौध का रोपण कर कार्यक्रम की शुरुआत की |
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय सामाजिक विज्ञान संकाय के छात्र छात्राओं ने नए वर्ष में विश्वविद्यालय में पहले दिन संकाय भवन परिसर में पौधरोपित कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ अजय प्रताप सिंह ने कनेर के पौध का रोपण कर कार्यक्रम की शुरुआत की. जनसंचार और सामाजिक मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थिओं ने परिसर में पौध रोपण किया।सामजिक विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों में सुनीता, विवेक , सुशील, संध्या, सुभाषिनी, उमेश, संगीता, शिखा ,कीर्ति, रोहित और प्रिंस,दीपक, मूलचन्द्र आदि ने पौधरोपण कार्यक्रम में पौध लगाये।इस अवसर पर डॉ दिग्विजय सिंह राठौर,डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ सुनील कुमार,डॉ रूश्दा आज़मी,पंकज सिंह, अरुण सिंह ,वीरेंदर सिंह, आनंद सिंह, आशुतोष सिंह आदि उपस्थित रहे.
Thursday, 1 January 2015
28वें बापू बाजार का आयोजन
बापू बाजार
विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा मऊ जनपद के रामदेव रामहर्ष महाविद्यालय चिरैयाकोट में 31 दिसंबर को 28वें बापू बाजार का आयोजन किया गया. बापू बाजार में आसपास के गरीब वर्ग के लोग जब उमड़े तो उन्होंने अपनी जरूरत के हर सामानों की खरीद की। चाकू-छूरी, बर्तन, खुरपी, कुदाल, शाल, स्वेटर, कपड़े, साड़ियां, कुर्ते, शर्ट आदि उपलब्ध कराये गए थे. वह भी महज दो से दस रुपये में।यह सामान राष्ट्रीय स्वयं सेवकों द्वारा समाज के संभ्रांत लोगों से मांग कर इकठ्ठा किया गया था.आजमगढ़,मऊ और ग़ाज़ीपुर के लगभग २ दर्जन महाविद्यालयों के स्टाल लगाये गए थे.

बाजार का उद्घाटन प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव, विशिष्ट अतिथि डॉ. एम हसीन खां, परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी आदि ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव ने कहा कि महात्मा गांधी का उद्देश्य समाज से गैर बराबरी का खात्मा और समता मूलक समाज की स्थापना था। इसीलिए उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी और बिना किसी हथियार के अंग्रेजों को देश से भागने के लिए विवश कर दिया। आज हमें महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, सरदार भगत सिंह के आदर्शो पर चलने की जरूरत है। महात्मा गांधी के आदर्शो के अनुरूप देश से गरीबी दूर करने के लिए बापू बाजार एक सशक्त माध्यम है।विश्वविद्यालय को इस नेक पहल के लिए बधाई का पात्र है. डॉ. एम हसीन खां ने कहा कि बापू बाजार एक प्रयास है स्वयंसेवकों के गरीबों तक पहुंचने का। इस मौके पर परमवीर अब्दुल हमीद की बेवा रसूलन बीबी को शाल व प्रतीक चिह्न् भेंट किया गया। कार्यक्रम में डा. दिग्विजय सिंह राठौर,डॉ. हृदयनारायण उपाध्याय, शिवप्रताप यादव, जिला पंचायत सदस्य अरुण कुमार सिंह, रामप्रताप यादव, हरिश्चंद्र यादव, विक्रांत सिंह रीशू, लालजी यादव, जयप्रताप यादव, जेपी यादव, आजाद अहमद आदि ने सिरकत की । प्रबंधक रामवृक्ष यादव ने सभी अतिथियों का आभार जताया। संचालन रामअवतार यादव ने किया।
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67 वें वाणिज्यि अधिवेशन में पूर्वांचल के डॉ. अविनाश पाथर्डीकर एवं संगीता ने जीता रजत पदक
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के प्रबंध अध्ययन संकाय के डॉ. संगीता साहू, विभाध्यक्ष, एच.आर.डी. विभाग एवं अविनाश पाथर्डीकर, उपाचार्य ने 67 वे अखिल भारतीय वाणिज्यिक अधिवेशन में उत्कृष्ट शोध-पत्र की प्रस्तुति कर बेस्ट बिजनेस एकेडेमिक ऑफ द इयर अवार्ड (बीबे) प्राप्त कर एक बार पुनरू विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। ज्ञात हो कि भारतीय वाणिज्यिक संघ प्रतिवर्ष यह आयोजन करता है, इस वर्ष यह आयोजन भुबनेश्वर, ओडिशा मे दिनांक 27-29 दिसंबर को आयोजित किया गया। इस वर्ष इस अधिवेशन मे कुल मिलाकर 1165 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए जिसमे रजत पदक इन दौनो को दिया गया एवं मानव संसाधन सत्र मे यह सर्वोत्कृष्ट शोध पत्र घोषित किया गया। यह सम्मान ओडिशा के राज्यपाल डॉ. एस.सी. जमीर के हाथों दिया गया। इस अवसर पर उत्कल विश्वविद्यालय, भुबनेश्वर के कुलपति, प्रोफेसर ए.के. दास, भारतीय वाणिज्यिक संघ के महासचिव प्रोफेसर बलविंदर सिंह, वाणिज्यिक संघ के उपाध्यक्ष प्रोफेसर पी.टी. चैधरी, के.आई.आई.टी.एस विश्विद्यालय के संस्थापक डॉ. ए. सामन्ता सहित देश विदेश के वाणिज्य समुदाय के शिक्षाविद उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी डॉ. अविनाश पाथर्डीकर एवं डॉ. संगीता साहू ने इंडियन सोसायटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवेलपमेंट के 2010 एवं 2012 के उत्कृष्ट शोध पत्र हेतु पदक प्रदान किया गया। इस उपलब्धि से विश्विद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों मे खुशी है डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ. मानस पांडेय, डॉ. एच.सी. पुरोहित, चीफ वार्डन डॉ.एस. के सिन्हा, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ मनोज मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. कार्तिकेय शुक्ला सहित अन्य शिक्षकों एवं छात्रों ने बधाई दी।
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