Monday 12 January 2015

स्वामी जी ने शताब्दी पूर्व भारत की आत्मा को विश्व की आत्मा से जोड़ा- कुलपति

विश्वबंधुत्व मे विवेकानन्द का सबसे बड़ा योगदान

वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय सभागार में सोमवार को स्वामी विवेकानन्द जयन्ती युवा दिवस के रूप में मनायी गयी। इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि विश्वबंधुत्व के क्षेत्र. में विवेकानन्द जी का सबसे बडा़ योगदान है।भारतीय संस्कृति के इस पुरोधा विद्वान ने भारत के विश्व बंधुत्व की भावना, दर्शन, आध्यात्म, धर्म के मूल तत्व एवं सद्आचरण से पूरी दुनिया को परिचित कराया।आज आई0टी0 युग मे पूरी दुनिया को जोड़ने का काम हो रहा है स्वामी विवेकानन्द जी ने शताब्दी पूर्व भारत की आत्मा को विश्व की आत्मा से जोड़ने का काम किया था।  विश्वविद्यालय में ऐसे अनुकरणीय व्यक्तित्व वाले महापुरूषों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व बारे में सतत् कार्यक्रम चलते रहना चाहिए। विद्यार्थी इन  महापुरूषों के व्यक्तित्व से प्रेरणा प्राप्त कर समाज और देश का मान बढ़ा सकता है। अच्छे संस्कारों के साथ विद्या प्राप्ति ही शैक्षिक संस्थानों का प्रमुख उद्देश्य है। 
इस अवसर पर गोष्ठी को प्रो0 वी0के0 सिंह, प्रो0बी0बी0तिवारी, डाॅ0मनोज मिश्र, डाॅ0 एच0सी0 पुरोहित एवं त्रयंबक उपाघ्याय ने भी संबोधित किया।उपस्थित लोगों का स्वागत मानद पुस्तकालय अघ्यक्ष डाॅ0मानस पाण्डेय तथा आभार  डाॅ0प्रदीप कुमार द्वारा किया गया। संचालन डाॅ0विद्युत मल्ल ने किया। इसके पूर्व विश्वविद्यालय परिसर में स्थित
 विवेकानन्द की मूर्ति पर कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल एवं उपस्थित समस्त प्राघ्यापकों तथा कर्मचारियों द्वारा माल्र्यापण कर पुष्पांजलि अर्पित किया गया। इस अवसर पर डाॅ0 ए0 के0 श्रीवास्तव, डाॅ0सगीता साहू डाॅ0 नुपुर तिवारी, डाॅ0संदीप सिंह, डाॅ0 संजीव गंगवार, डाॅ0रजनीश भाष्कर, डाॅ0राजेश शर्मा, डाॅ0 आशुतोष सिंह, डाॅ0रवि प्रकाश, डाॅ0अवध बिहारी सिंह, डाॅ0दिग्विजय सिंह राठौर, डाॅ0सुशील कुमार, डाॅ0 विनय वर्मा, डाॅ0के0एस0तोमर, श्याम त्रिपाठी,पंकज सिंह,अवधेश प्रसाद, द्विजेन्दु उपाध्याय, मनु मिश्रा सहित प्रशिक्षु पुस्तकालय सहायक उपस्थित रहे।

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