Friday 23 January 2015

दीक्षांत पूर्व विशेष व्याख्यान माला सम्पन्न

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह के पूर्व विभिन्न संकायों में विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। 21 जनवरी से प्रारम्भ हुए दीक्षांत समारोह के पूर्व विशेष व्याख्यान की श्रृंखला मोती लाल नेहरू एनआईटी इलाहाबाद के निदेशक प्रो. पी. चक्रवर्ती के इंजीनियरिंग संस्थान में ‘माइक्रोइलेक्ट्रानिक्स से लेकर नैनो इलेक्ट्रानिक्स’ तक की यात्रा विषय पर दिये गये व्याख्यान से सम्पन्न हुई।
प्रो. चक्रवर्ती ने कहा कि इलेक्ट्रानिक्स के प्रादुर्भाव निर्वात वाल्ब से लेकर फोटोनिक्स डिवाइसेस तक के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विश्व के तमाम वैज्ञानिकों के सांझा शोध द्वारा राडार, संचार एवं मेडिकल के तमाम उपकरण सामने आये। 1998 में टेक्सास इन्स्ट्रूमेंट अमेरिका के वैज्ञानिक किल्बी ने चिप का आविष्कार कर इलेक्ट्रानिक के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी। वैज्ञानिक किल्बी को इस शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।
प्रो. चक्रवर्ती ने मूरे लाॅ का जिक्र करते हुए इलेक्ट्राॅनिक के क्षेत्र में चिप की नाप और समय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्राॅनिक्स में साइज जितनी छोटी होगी उसकी कार्यशीलता उतनी बढ़ती जाती है। इस प्रकार से नैनो टेक्नोलाॅजी का प्रादुर्भाव होता है। व्याख्यान के प्रारम्भ में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने प्रो. चक्रवर्ती का स्वागत किया एवं उनका परिचय कराया। संकायाध्यक्ष इंजीनियरिंग प्रो. बीबी तिवारी ने प्रो. चक्रवर्ती का बाॅयोडाटा प्रस्तुत किया। व्याख्यान में डा. एके श्रीवास्तव, डा. एचसी पुरोहित, डा. मानस पाण्डेय, डा. संतोष, डा. राजकुमार, डा. राजकुमार, रविप्रकाश, शैलेश, अजय मौर्या एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
गुरूवार को सामाजिक विज्ञान संकाय में मनोसांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में संचार विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित हुआ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के आचार्य डा. आरसी मिश्रा ने कहा कि संचार हमारे मनोविज्ञान से जुड़ा हुआ है और उसको परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सम्प्रेषण में संदेश का अर्थ देश, काल व परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तित होता रहता है। उन्होंने संचार कौशल से जुड़े तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही आदिवासियों पर किये गये अपने शोध के निष्कर्षों को भी रखा। इसी क्रम में बीएचयू की प्राध्यापिका डा. पूर्णिमा अवस्थी ने मनोविज्ञान एवं संचार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बतायी। संकायाध्यक्ष प्रो. रामजी लाल ने स्वागत एवं डा. अजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुनील कुमार आदि उपस्थित रहे।
वहीं गुरूवार को विज्ञान संस्थान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं रोग प्रतिरोधी क्षमता तथा मानव स्वास्थ्य विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में लखनऊ विश्वविद्यालय के बाॅयोटेक्नोलाॅजी विभाग के प्रो. एस. मल्होत्रा ने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार का ज्ञान होना सबके लिए जरूरी है। उन्होंने बिल गेट्स एवं जापान की आॅटो मोबाइल कम्पनियों का उदाहरण देते हुए बताया कि पेटेंट ज्ञान के चलते ही आज पूरी दुनिया में इनका वर्चस्व है। उन्होंने रोग प्रतिरोधी विज्ञान को सरलता से विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत किया एवं कतिपय टीकाकरण की चर्चा की। संचालन एवं स्वागत प्रो. वीके सिंह ने किया। इस अवसर पर डा. वंदना राय, डा. प्रदीप कुमार सहित समस्त विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फार्मेसी संस्थान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं परम्परागत ज्ञान विषय पर  एनबीआरआई लखनऊ के वैज्ञानिक डा. सीएचवी राव ने विद्यार्थियों के समक्ष इस विषय पर व्याख्यान दिया। प्रबंध संकाय संस्थान में प्रबंधन एवं भगवत गीता विषय पर देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय के प्रो. पीएन मिश्रा ने बहुत रोचक तरीके से अपनी बात रखी।

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