Saturday 13 February 2016

उन्नीसवां दीक्षान्त समारोह 13 फरवरी, 2016


विश्वविद्यालय का उन्नीसवां दीक्षान्त समारोह 13 फरवरी, 2016 को बसन्त पंचमी के शुभ अवसर पर आयोजित किया गया। समारोह के अध्यक्ष प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल एवं मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल जी, मानद अति विशिष्ट प्रोफेसर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बेंगलुरू रहे। समारोह में 58 मेधावियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल जी, मानद अति विशिष्ट प्रोफेसर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बेंगलुरू ने कहा कि हम प्रतिवर्ष 10 लाख नौकरी पाने वाले इंजीनियर पैदा करते है न की दक्ष इंजीनियर। हम विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करने हेतु तैयार करते है, न कि इंजीनियरिंग उत्पाद हेतु।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से लार्ड मैकाले की व्यवस्था का उद्देश्य ब्रिटिश भारत में सरकारी कार्य में अच्छे बाबू तैयार करना था, उसी प्रकार हमारी वर्तमान इंजीनियरिंग शिक्षा बहुराष्ट्रीय कर्मियों के लिए अच्छे श्रमिक तैयार करती है। भारतीय इंजीनियर विदेशों में जाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि हम विदेशों में जाकर अच्छा काम और नाम दोनों करते है मगर अपने देश में हम सिर्फ हाशिए पर ही दिखाई देते है। इसके लिए हमारे देश का वातावरण जिम्मेदार है या हमारी मनोवृत्ति। इस बात पर चिंतन करना होगा।
प्रो. गोयल का मानना हैं कि आज हम तेजी से बदलते हुए विश्व का हिस्सा हैं। दस सालों में होने वाले विकास ने पूर्व के 100 सालों के विकास को पीछे छोड़ दिया है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियरिंग अद्भुत बदलाव ला रही है। मोबाइल, जीपीएस, इंटरनेट, तकनीकी परिवर्तन के सूचक है। इंजीनियरिंग व्यक्ति, समाज और मानवता के उन्नयन के लिए सूक्ष्म और वृहद दोनों स्तर पर प्रयासरत है। हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इंजीनियरिंग से अछूता नहीं है।
कुलाधिपति के रूप में समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि समाज के निर्धन वर्ग के बच्चों को धन की समस्या का सामना करना पड़ता है। हमें यह ध्यान देने की जरूरत है कि धन के अभाव में कोई भी विद्यार्थी शिक्षा से वंचित न हो, इससे राष्ट्र का नुकसान होगा। मेधावी युवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था तब तक अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का दावा नहीं कर सकती जब तक वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी नहीं करती। पाठ्यक्रमों में एक दूरवर्ती कार्यक्रम शामिल करना लाभकारी होगा। इसमें समाज के उपेक्षित वर्गों और पड़ोसी समुदाय के साथ विद्यार्थियों को आपसी संवाद द्वारा जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दायित्व है कि वे देश की उच्च परम्पराओं के अनुरूप कार्य करें। सूचना प्रौद्योगिकी ने विश्व भर के लोगों को एक साथ जोड़ दिया है। शिक्षा की पहुंच का विस्तार करने और इसकी गुणवत्ता सुधारने के लिए हमें ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए सूचना और संचार माध्यमों की शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने उपाधिधारकों के लिए कहा कि आज जीवन का एक नया अध्याय प्रारम्भ कर रहे है, वास्तविक दुनिया में कदम रखते हुए सपनों को हकीकत में बदलने की चेष्टा कर रहे है। आपने सतत प्रयास एवं अध्ययन से एक महत्वपूर्ण मंजिल प्राप्त की है। दृढ़ निश्चय के साथ अपने परिवार समाज देश और मानवता के लिए जीवन को सार्थक बनाने की एक नई पहल करने का प्रायोजन करें।
बतौर कुलपति प्रो. डीडी दूबे ने कहा कि किसी भी शैक्षिक व्यवस्था में विश्वविद्यालय के संचालन के लिये आवश्यक है कि bottom-up approach अर्थात् आधारयुक्त नीति को अपनाते हुए कार्य संपादन किया जाय। भारत की परम्परागत शिक्षण प्रणाली में मातृभाषा हिन्दी, संस्कृत, गणित के साथ अंग्रेजी एवं वर्तमान में कम्प्यूटर शिक्षा को भी सामान्यतः समाहित किया गया है। इस आधारभूत शिक्षा प्रणाली को जीवन्त रखते हुए शिक्षा प्रणाली को अधिक सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है, ताकि हमारे विद्यार्थी भूमण्डलीकरण के युग में अपनी mŸkjthfork (Survival) बनाये रखने में सफल हो सकें। समस्त शिक्षकों एवं विश्वविद्यालय को इस सम्बन्ध में आत्ममंथन करना होगा। सुदृढ़,  top-down approach से शीर्ष नेतृत्व, समय-समय पर दिशा निर्देश देते हुए नये मार्ग को प्रशस्त कर सकता है, ताकि परिवर्तन के प्रवाह के साथ-साथ नवयुवकों को अग्रसर किया जा सके।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विष्वविद्यालय द्वारा सत्र 2015-16 में NAAC-मूल्यांकन के सम्बन्ध में LOI की स्वीकृति के बाद सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (SSR) प्रेषित की जा चुकी है। पीयर टीम के आगमन हेतु तैयारी प्रगति पर है। गुणवत्ता के लिए पारदर्षिता अनिवार्य तत्व है। इस हेतु सत्र 2014-15 में विष्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों का AISHE पर पंजीकरण पूर्ण हो चुका है। सत्र 2015-16 में पंजीकरण का कार्य प्रगति पर है। विष्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2015 में प्रदान की जाने वाली समस्त पी-एच0डी0 उपाधियों के शोध-प्रबन्धों को विष्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित ’षोधगंगा’ कार्यक्रम पर पंजीकृत कराया गया है। विष्वविद्यालय की वेबसाईट को पुनः रेखांकित किया जा रहा है। परीक्षा के सम्बन्ध में विष्वविद्यालय एवं समस्त सम्बद्ध महाविद्यालयों से आॅनलाईन आवेदन पत्र लेने के उपरान्त आॅनलाईन प्रवेषपत्र एवं इलेक्ट्रानिक मार्कषीट के वितरण की व्यवस्था पूर्ण कर ली गयी है। विगत परीक्षाओं एवं पंजीकरण के समस्त आँकड़ों के लिये एक डाटा-सेन्टर स्थापित करने की व्यवस्था की जा रही है। पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों को डिजिटल करने हेतु कार्य निरन्तर प्रगति पर है। ई-पुस्तकालय की स्थापना की गयी है। विष्वविद्यालय परिसर में वर्चुअल क्लासरूम स्थापित करने हेतु एवं कान्फ्रेसिंग की सुविधा की प्रक्रिया प्रगति पर है। विष्वविद्यालय में आप्टिकल फाइबर का लोकल नेटवर्क समस्त प्रयोगषालाओं, कार्यालयों, कक्षाओं तथा छात्रावास के कमरों तक स्थापित है।
दीक्षान्त समारोह में सत्र 2014-2015 में विभिन्न विषयों के 58 सर्वोच्च अंक धारक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इसके साथ ही दस संकायो के 339 शोधार्थियों को पी-एचडी. उपाधि प्रदान की गयी। इसके पूर्व मुख्य अतिथि, कुलपति द्वारा महात्मा गांधी एवं वीर बहादुर सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में ओपेन थिएटर मुक्तांगन एवं महिला छात्रावास के विस्तार यमनोत्री तथा ट्रांजिट हाॅस्टल-2 गंगोत्री का लोकार्पण मुख्य अतिथि ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डा. देवराज, वित्त अधिकारी एमके सिंह, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद सहित समस्त विधायी समितियों के सम्मानित सदस्यगण, पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद, पूर्व सांसद कमला प्रसाद सिंह, प्रबंधक अशोक सिंह, पूर्व प्राचार्य डा. राधेश्याम सिंह, डा. देवेश उपाध्याय, डा. राजीव सिंह, डा. सर्वानंद पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य डॉ लाल साहब सिंह ,डा. दुर्गा प्रसाद अस्थाना, डा. दीदार सिंह यादव, डा. राकेश सिंह, डा. एसपी ओझा, डा. विजय तिवारी, डा. अनुराग मिश्र, डा. केडी सिंह, आनन्द मिश्र एडवोकेट, सुरेंद्र त्रिपाठी, संत लाल पाल, प्रो. वीके सिंह,प्रोफ़ेसर बी बी तिवारी , डा. मानस पाण्डेय, डा. अविनाश पाथर्डीकर,डॉ एच सी पुरोहित ,डॉ रजनीश भास्कर ,डॉ वी डी  शर्मा ,डॉ अजय द्धिवेदी ,डॉ आशुतोष सिंह ,अमित वत्स ,डॉ संगीता साहू ,डॉ प्रदीप कुमार ,डॉ वंदना राय , डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी,डॉ के एस  तोमर ,रामजी सिंह ,सुबोध पाण्डेय ,लक्ष्मी प्रसाद मौर्या ,रहमतुल्लाह ,श्याम त्रिपाठी ,जगदम्बा मिश्रा ,डॉ पी के कौशिक ,रामसूरत यादव ,राजेश सिंह ,रजनीश सिंह ,अशोक चौहान ,दिग्विजय सिंह ,पंकज सिंह ,  सहित महाविद्यालयों के प्रबन्धक, महाविद्यालयों के प्राचार्य, जनप्रतिनिधि, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थीगण एवं अभिभावक आदि उपस्थित रहे। 
इन्हें मिला गोल्ड मेडल
समारोह में 58 मेधावियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। जिसमें स्नातक में 16 और परास्नातक में 42 मेधावियों को स्वर्ण पदक दिया गया। इनमें कुल 24 छात्र और 34 छात्राएं शामिल है।
जिनमें (बी.टेक.) कम्प्यूटर सांइस एण्ड इन्जीनियरिंग से सायमा बानो, (बी.टेक.) इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इन्जीनियरिंग में पियूष कुमार मिश्रा, (बी.टेक.) इन्फारमेशन टेक्नोलॉजी में रिधीमा नन्द श्रीवास्तव, (बी.टेक.) इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग में रिचा पाल, (बी.टेक.) मैकेनिकल इन्जीनियरिंग में बलवन्त साहनी, (बी.टेक.) इलेक्ट्रानिक्स एण्ड इन्स्ट्रूमेंटेशन इन्जीनियरिंग में युवराज सिंह, बी.फार्मा में अनम बेग, बी.सी.ए. में सौरभ सिंह, बी.बी.ए. में सोनाली राय, कला वर्ग में उत्तरा यादव, विज्ञान वर्ग में दिव्या सिंह, वाणिज्य वर्ग में रिचा सिंह, कृषि वर्ग में अंजली सिंह, बी.एस.सी. इन बी.पी.ई. में चेतना सिंह, एल.एल.बी. में प्रतिभा वर्मा, बी.एड. में निवेदिता सिंह है।
स्नातकोत्तर स्तर पर 1 एम.सी.ए. में तृप्ती उपाध्याय, 2 एम.एस.सी. (पर्यावरण विज्ञान) में आकांक्षा उपाध्याय, 3 एम.एस.सी. (बायोटेक्नोलाजी) में मेघा श्री, 4 एम.एस.सी (बायोकेमेस्ट्री) में पायल सिंह, 5 एम.एस.सी. (माइक्रोबायोलाजी) में नितीश कुमार सिंह, 6 एम.ए. (अप्लाइड साइकोलाजी) में सुशील कुमार, 7 एम.बी.ए. में शाहिद जमाल, 8 एम.बी.ए. (एग्री-बिजनेस) में जामवन्त गौड़, 9 एम.बी.ए. (ई-कामर्स) में बरकत अली, 10 एम.बी.ए. (बिजनेस इकोनॉमिक्स) में अभिषेक कुमार सिंह, 11 एम.बी.ए. (फाइनेन्स एण्ड कन्ट्रोल) में आशुतोष कुमार अग्रवाल, 12 एम.बी.ए. (एच.आर.डी.) में ऐमान रहमान, 13 एम.ए. (मास कम्युनिकेशन) में अंकुर सिंह, 14 एम.एच.आर.डी. में नेहा सिंह, 15 वाणिज्य संकाय में फराह अमजद, 16 विज्ञान संकाय (गणित) में गरिमा, 17 विज्ञान संकाय (प्राणी विज्ञान) में चारूल यादव, 18 विज्ञान संकाय (भौतिकी विज्ञान) में जया श्रीवास्तव, 19 विज्ञान संकाय (रसायन विज्ञान) में शिवानी सिंह, 20 विज्ञान संकाय (वनस्पति विज्ञान) में आकांक्षा सिंह, 21 विज्ञान संकाय (सैन्य विज्ञान) में फरहाना यास्मीन, 22 कृषि संकाय (प्लांट पैथोलॉजी) में धीरज कुमार त्रिपाठी, 23 कृषि संकाय (हार्टिकल्चर) में अनुपम राय, 24 कृषि संकाय (जेर्नेटिक्स एण्ड प्लांट व्रीडिंग) में दिव्यांशी यादव, 25 कृषि संकाय (एग्रोनॉमी) में विपिन सिंह, 26 कृषि संकाय (एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स) में सीतेन्द्र गौतम, 27 कृषि संकाय (एग्रीकल्चर केमेस्ट्री एण्ड स्वायल साईंस) में अमित कुमार चन्देल, 28 कृषि संकाय (एंटोमोलाॅजी) देवप्रकाश पटेल, 29 कला संकाय (प्राचीन इतिहास) में अरूनेन्द्र मौर्य, 30 कला संकाय (राजनीति शास्त्र) में प्रिया मिश्रा, 31 कला संकाय (हिन्दी) में शिखा तिवारी, 32 कला संकाय (अर्थशास्त्र) में ज्योति चैरसिया, 33 कला संकाय (अंग्रेजी) में नसेहा फिरदौस, 34 कला संकाय (संस्कृत) में अन्नू कुशवाहा, 35 कला संकाय (शिक्षाशास्त्र) में ज्योति तिवारी, 36 कला संकाय (गृह विज्ञान) में अन्जू यादव, 37 कला संकाय (म. कालीन और आधुनिक इतिहास) में पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, 38 कला संकाय (उर्दू) में मारिया बानो, 39 कला संकाय (मनोविज्ञान) में शालिनी श्रीवास्तव, 40 कला संकाय (दर्शन शास्त्र) में शुभम पाण्डेय, 41 कला संकाय (भूगोल) में पूजा सिंह, 42 कला संकाय (समाजशास्त्र) में शिवा सिंह। 

ओपन एयर थिएटर का हुआ उद्घाटन
ओपेन एयर थिएटर के उद्घाटन अवसर पर विद्यार्थियों की प्रस्तुति ने मनमोह लिया। शंखनाद के बीच उद्घाटन के पश्चात डेंटल कालेज आजमगढ़ की टीम की छात्र-छात्राओं ने रंगीला देश रंगीला पर मनमोहक नृत्य, जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने नाटक, इंजीनियरिंग संकाय के छात्रों ने मूकअभिव्यक्ति, मोहम्मद हसन पीजी कालेज के छात्रों ने राष्ट्र प्रेम की कौव्वाली प्रस्तुत की। पूरा वातावरण शंखनाद से गूंज उठा। सांस्कृतिक सचिव एचसी पुरोहित ने संचालन किया।

गतिमान 2016 नये कलेवर में
विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाली पत्रिका गतिमान इस बार नये कलेवर में है। कुल 48 पेजों में सुसज्जित यह पत्रिका पूरे विश्वविद्यालय के वर्षभर की झांकी प्रस्तुत करती है। इस पत्रिका में जौनपुर के इतिहास सहित वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा है। इसके सम्पादक मण्डल में प्रो. बीबी तिवारी, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. केएस तोमर शामिल है।


1 comment:

  1. Thanks to all faculty members and entire teaching staff of university.without their guidance and support this milestone has not been possible.

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