ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने रखे विचार
उन्होंने महिला सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए कहा कि आज संस्कार बदल रहे है। महानगरों में लीव इन रिलेशन आम बात हो गयी है। पाश्चात्य संस्कृति को जो हम अपना रहे है वह हमारी तासीर में नहीं है। उनका मानना है कि आज मानवीय मूल्य को पाने के लिए लोभ, माया, मोह, क्रोध से बाहर निकलना होगा।
इसके पूर्व सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथि का विस्तृत परिचय दिया। मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ देकर डा. एचसी पुरोहित, डा. दिग्विजय सिंह राठौर ने स्वागत किया। साथ ही डा. सुनील कुमार, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. रूश्दा आजमी समेत विभाग के शिक्षकों ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर प्रो. आरएस सिंह, प्रो. बी.बी. तिवारी, डा. बीडी शर्मा, डा. अविनाश पाथर्डीकर, डा. सुशील कुमार, डा. सुभाष वर्मा, डा. दयानंद उपाध्याय, सुधाकर शुक्ला, डा. अमरनाथ यादव, डा. रंजना यादव, डा. आलोक गुप्ता, पंकज सिंह, आलोक आदि सहित सभी संकायों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डा. मनोज मिश्र ने किया। दीक्षांत पूर्व व्याख्यानमाला के संयोजक डा. अजय द्विवेदी ने संचालन किया।
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आॅप्टिकल फाइबर सेंसर्स पर व्याख्यान
विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में बुधवार को आयोजित 19वें दीक्षांत समारोह के पूर्व व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. जगदीश सिंह ने आॅप्टिकल फाइबर सेंसर्स पर व्याख्यान देते हुए विभिन्न सेंसर्स की तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अलग-अलग सेंसर अलग-अलग प्रभावों के अध्ययन में लगे है।
श्री सिंह ने कहा कि कैसे लिब्स टेक्नोलाॅजी का उपयोग मंगल पर भेजे गये क्यूरिआसिटी रोवर पर हो रहा है। आॅप्टिकल सोसाइटी आॅफ अमेरिका के फेलो प्रो. सिंह ने बताया कि कैसे हम फाइबर सेंसर का इस्तेमाल कर बड़ी-बड़ी इमारतों, पुलों, बांधों की सुरक्षा की जानकारी उसके जीवनकाल तक हासिल करते रहेंगे। भवन के मामले में जब उसकी ताकत कम होने लगती है और भार बढ़ने लगता है तो आॅप्टिकल फाइबर सेंसर हमें सचेत कर देता है और इसके बाद इसकी सुरक्षा के बारे में हम सचेत हो जाते है। आर्द्रता को भी सेंस किए जाने वाले सेंसर, रासायनिक सेंसर की चर्चा किया। यह भी बताया कि इन सेंसर्स का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों की जानकारी में किया जाता है। शरीर के किसी भी अंग में जब एसिड फार्मेशन होने लगता है तो उस समय आॅप्टिकल फाइबर सेंसर पता करके यह बताता हैं कि इस स्थान पर एसिड फार्मेशन हो रही है जिससे कि कैंसरस की दिक्कत भविष्य में हो सकती है और इसका निवारण हम इसके प्रथम चरण में ही कर सकते है।
इस अवसर पर डीन प्रो. बीबी तिवारी, संयोजक प्रो. एके द्विवेदी, सुशील कुमार, डा. आलोक गुप्त, प्रवीण सिंह, शैलेश, सुधीर, नितांत, सौभाग्य, तुषार, वर्तिका, पूनम, रितेश वर्नवाल, प्रभात शुक्ल, अजय मौर्य, विशाल यादव, बीपी तिवारी, आनंद सिंह, जय सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, बृजभूषण राय, अंकित सेठ, निधि, राहुल यादव, स्नेहलता, शिवांगी मिश्र, दीपिका, नेहा आदि उपस्थित रहे।
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