वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस सप्ताह के अंतर्गत शांति, अहिंसा और महात्मा गाँधी की प्रासंगिकता विषय पर आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन मीराबाई छात्रावास में मंगलवार को किया गया। आशु भाषण में विश्वविद्यालय की छात्राओं नें बढ़ -चढ़ कर भाग लिया। छात्राओं ने कहा कि गांधीवादी विचार की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है। गांधी जी साधन व साध्य दोनों की शुद्धता पर बल देते थे। उनके अनुसार साधन व साध्य के मध्य बीज व पेड़ के जैसा संबंध है जब बीज दूषित हो तो स्वस्थ पेड़ की उम्मीद करना बेईमानी है । ग्राम स्वराज का प्रसार, प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा और परंपरागत चिकित्सकीय ज्ञान के उपयोग सहित तमाम दूसरे उद्देश्यों पर कार्य करना इसी विचारधारा को अग्रसारित करना है।
छात्राओं ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन को संदर्भित करते हुए कहा कि उन्होंने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” गांधी के विचारों ने पूरे संसार को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के दृष्टिकोण से इस देश नें गांधी जी के विचारों को आगे किया और दुनिया को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है । गाँधी जी नें सत्य अहिंसा के पालन तथा पीड़ित लोंगो आवाज़ उठाने में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया।
आशु भाषण में प्राची सिंह,नामीरा खान,अंकिता सिंह,योगिता सिंह,विभा त्रिपाठी,वैष्णवी पांडेय, पल्लवी सिंह, शिवांगी सिंह, स्नेहा यादव, सोनी यादव, स्मिता यादव, अंशी यादव, शिवानी सिंह, शिवांगी मिश्रा, शिप्रा सिंह, साक्षी यादव, एवं अंकिता विश्वकर्मा ने भाग लिया. इस अवसर पर निर्णायक के रूप में डॉ अन्नू त्यागी एवं डॉ झांसी मिश्र मौजूद रहीं ।
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस सप्ताह के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज मिश्र ने बताया कि प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर गाँधी रिसर्च फाउंडेशन, जलगांव की अपेक्षा के अनुरूप विश्वविद्यालय परिसर में 29 सितम्बर से ही विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए है । 04 अक्टूबर को समापन सत्र में विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किए विजेता विद्यार्थियों को कुलपति प्रोफेसर वंदना सिंह प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित करेंगी।
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