Saturday 24 September 2016

विश्वविद्यालय के वित्तीय अध्ययन विभाग में पुरातन छात्र सम्मेलन


 विश्वविद्यालय के वित्तीय अध्ययन विभाग में शनिवार को पुरातन छात्र सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में देश के बाहर के भी पूर्व विद्यार्थियों ने भी शिरकत किया। इस अवसर पर जेद्दा सऊदी अरबिया के किंग अब्दुल अजीज विश्वविद्यालय के प्रो. जैद अहमद अंसारी ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए एक लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने जीवन के महत्वपूर्ण क्षण इस विश्वविद्यालय परिसर में बिताये हैं। आगे बढ़ने और कुछ बनने की सीख मुझे यहीं से मिली। आज मुझे गर्व कि मेरे विश्वविद्यालय से निकले लोग पूरे विश्व की सेवा कर रहे हैं।
उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि पढ़ाई के साथ-साथ समाजसेवा के क्षेत्र में आगे आयें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वह मेहनत से पढ़ाई करें यही उनका मुख्य धर्म है। आगे कहा कि शिक्षक के बिना ज्ञान अधूरा है इसीलिए वह अपने शिक्षकों का सम्मान भी करें। उनका मानना है कि अगर किसी विद्यार्थी को प्रतिस्पर्धा में शामिल होना है तो उन्हें अपने आप से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी।
अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. अजय द्विवेदी ने कहा कि डीएफएसएल के मंत्र को अपनाने वाला ही सफल होता है। उन्होंने इस पर विस्तार से व्याख्या करते हुए बताया कि पहले करिये बाद में कहिये (डू फस्र्ट, से लेट)। उन्होंने पूर्व विभागाध्यक्ष एसके सिन्हा के कार्यों की भी तारीफ की।
पुरातन छात्र एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कम्पनी मामलों के जानकार चन्द्रमौली द्विवेदी ने सोसाइटी ट्रेड मार्क, स्टार्ट अप जैसे नये व्यवसाय के रजिस्ट्रेशन और उससे आने वाली समस्याओं के तकनीकी विषयों पर चर्चा की।
विभाग के प्राध्यापक सुशील कुमार ने एल्यूमिनी शब्द की विस्तार से व्याख्या की। कहा कि संस्थान से जो कुछ मिला है उसे समाज को देने वाला ही छात्र असली पुरातन छात्र है। 
संचालन विभाग के विद्यार्थी मनीष अग्रहरि एवं रितू श्रीवास्तव तथा धन्यवाद ज्ञापन बागमिता श्रीवास्तव ने किया। इस पुरातन छात्र सम्मेलन के अवसर पर देश के विभिन्न प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों में कार्यरत एक दर्जन से अधिक पुरातन विद्यार्थियों ने भाग लिया एवं अपने विचारों को लोगों से साझा किया। इस अवसर पर आलोक गुप्ता, रोहित पाण्डेय, चन्द्रमौली द्विवेदी, चन्द्रशेखर, रवि कुमार, मो. अबु सलेह, जैनुल आब्दीन, हीना अख्तर, रूप कुमारी ओझा, अर्षिता त्रिपाठी, अंकिता श्रीवास्तव, रूपाली अग्रहरि, पूजा मोदनवाल, रूश्दा आजमी, पूजा खुराना, मोनिका, यशस्वी, रितू, शहबाज, अनुराग उपाध्याय आदि पुरातन विद्यार्थियों ने विचार व्यक्त किये। 

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