जनमानस तक पहुंचने के लिए मातृभाषा जरूरी : गुंजन सिंह
भारतीय सिनेमा की डबिंग का चीन में अच्छा व्यवसाय : अजय कृष्ण
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर सात दिवसीय कार्यशाला का चौथा दिन
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं गुरु नानक कॉलेज स्वायत्तशासी चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को सात दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के चौथे दिन पंचम तकनीकी सत्र में अभियांत्रिक के क्षेत्र में शिक्षण, शोध एवं रोजगार सृजन में मातृभाषा की उपादेयता विषय पर व्याख्यान हुआ।
इस अवसर पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रो. बीबी तिवारी ने कहा कि मातृभाषा की शक्ति में ही देश का सामर्थ्य और विकास छिपा रहता है। इससे व्यक्ति की सांस्कृतिक पहचान बनती है। यह हमारी आशा,भाव और व्यक्तित्व को अच्छे ढंग से संप्रेषित करती हैं। आइंस्टीन जर्मन भाषा (मातृभाषा) में ही शोध पत्र लिखते रहे। इसके बाद जब वह अमेरिका में गये तो वहां भी जर्मन भाषा में शोध पत्र लिखा।
काग्निजेंट टेक्नोलॉजी सोल्यूशन चेन्नई तमिलनाडु के आमंत्रित वक्ता गुंजन कुमार सिंह ने कहा कि बाजार में पकड़ बनाने के लिए जनमानस तक पहुंचना
होगा, इसके लिए मातृभाषा जरूरी है, इसलिए मुक्त बाजार में भूमंडलीकरण हिंदी को गले लगाता है। फिल्म जगत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पुष्पा फिल्म इतनी दमदार थी कि उसे हर भाषा में बनाया गया।
चीन के शिवान अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर अजय कृष्ण ने कहा कि किसी भी सामान को बेचने में और किसी दूसरी संस्कृति में व्यवसाय करने के लिए भी भाषा की जरूरत है। भारतीय सिनेमा चीनी बाजार में हिट है। भारतीय सिनेमा की डबिंग भी चीन में अच्छा रोजगार कर रही है।
कार्यशाला डॉ. मनोज कुमार पांडेय और डॉ. डाली के संयोजकत्व में आयोजित है। संचालन डॉ डॉली मौर्य और धन्यवाद ज्ञापन मनोज पांडेय ने किया।
इस अवसर पर प्रो. वंदना राय, प्रो.देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. रसिकेश, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ धीरेन्द्र चौधरी, मंगल प्रसाद यादव, श्रीमती गुड़िया चौधरी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से रेखा वर्मा, डॉ. विजय पाटिल संदीप कुमार, सुशील कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।
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