हिंदी के प्रति अनुभूति पैदा करने की जरूरत: प्रो. वशिष्ठ द्विवेदी
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर सात दिवसीय कार्यशाला का दूसरा दिन
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं गुरु नानक कॉलेज स्वायत्तशासी चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को सात दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम तकनीकी सत्र में सामाजिक विज्ञान में शिक्षण, शोध एवं रोजगार सृजन में हिंदी की उपादेयता विषय पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रो. आशीष सक्सेना ने
हिंदी भाषा का महत्व समझाते हुए कहा कि हिंदी में शोध राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर होना चाहिए | उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से हमारी हिन्दी भाषा अंग्रेजीनिष्ठ होती जा रही है उसे बदलना होगा और हमारी हिन्दी को संस्कृतनिष्ठ बनाना होगा।हिंदी के विकास के लिए हमें कई कदम उठाने पड़ेंगे जैसे विश्वविद्यालयों की पत्रिकाओं का लेखन हिंदी में हो और संचार माध्यम के रूप में भी हिंदी को बढ़ावा दिया जाए।
शिक्षण शोध एवं रोजगार सृजन में क्षेत्रीय भाषाओं/ मातृभाषाओं की उपादेयता विषय पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो. वशिष्ठ द्विवेदी ने कहा कि हिंदी के प्रति लोगों में अनुभूति पैदा करनी होगी। इसके लिए उन्हें हिंदी के साहित्यकारों को पढ़ने चाहिए। कहानी, पटकथा, नाटक के क्षेत्र रोजगार के अच्छे अवसर हैं।
वशिष्ठ जी ने भाषा की सार्थक ध्वनि की परिभाषा को समझाते हुए कहा कि मातृभाषा हमारे सोच को विस्तार देती है,सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। उन्होंने रामदरश मिश्र का एक शेर सुनाया कि -’ जमीं गांव की साथ लेकर चला था,उसमें उगा शहर धीरे - धीरे..’|
प्रथम दिवस के विशिष्ट अतिथि प्रो.अखिलेश कुमार पांडेय, स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रो राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय पट्टी (प्रयागराज), ने कहा कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण उसकी मातृभाषा से होता है| हमारे देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं और यही हमारी मातृभाषा है हमें एक दूसरे से जोड़ते हैं|
प्रो. पांडेय ने कहा कि मातृभाषा से सुंदर संवाद किसी अन्य भाषाओं में नहीं हो सकता। इसमें व्यक्ति का वास्तविक भाव जुड़ा होता है।
कार्यशाला डॉ. मनोज कुमार पांडेय और डॉ. डाली के संयोजकत्व में आयोजित है। संचालन डॉ मनोज पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ डाली ने किया।
इस अवसर पर प्रो. वंदना राय, प्रो.देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. रसिकेश, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ धीरेन्द्र चौधरी, गुरु नानक महाविद्यालय की डॉ. अनिता पाटील, श्रीमती गुड़िया चौधरी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से रेखा वर्मा, डॉ. विजय पाटिल, डॉ. मनोज कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।
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