लोक संस्कृतियों का स्मरण करातीं हैं ऐसी कार्यशाला: कुलपति
डिजिटल दौर में मातृभाषा पर संकट - पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं गुरु नानक कॉलेज स्वायत्तशासी चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को सात दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर शिक्षण, शोध एवं रोजगार में मातृभाषा की उपादेयता विषय पर चर्चा हुई।
उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस.गर्ग ने कहा कि मातृभाषा में सभी भाषाओं और संस्कृतियों का अद्भुत संगम है। व्यक्ति जीवन के शुरुआती दौर में मौलिक मूल्य और विचारों को अपने माता-पिता से सीखता है वह अपने सभी संस्कार मातृभाषा में ही आत्मसात करता है। शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करें । इसी के साथ भाषाओं के विकास के कार्य को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 1635 मातृभाषा है इन्हें कैसे विकसित किया जाए, इस पर शोध कैसे हो और रोजगार के अवसर कैसे मिले? इस पर आज गहन चर्चा की जरूरत है । उन्होंने कहा कि हमारे बहुत से ग्रंथ जो अमूल्य धरोहर हैं उसे संकलित कर शोध करना होगा ताकि देश को उसका लाभ मिल सके। इसी के लिए पूर्वांचल विश्वविद्यालय में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है, ताकि पाठ्यक्रम की एकरूपता हो ।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि संस्कृत भाषा देव भाषा है, रेशमी भाषा जनभाषा नहीं है । सात दिवसीय कार्यशाला में 10 विषय रखे गए हैं । ऐसी कार्यशाला लोक संस्कृतियों का स्मरण कराती हैं। रिपोर्टिंग, विज्ञापन, द्विभाषी रिपोर्टिंग पर डिप्लोमा कोर्स कराने की भी योजना है।बैंकिंग का साहित्य ऑनलाइन है इसके अनुवाद में भी रोजगार के अच्छे अवसर है।
विशिष्ट अतिथि प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव ने कहा कि भारत बहुभाषी देश है डिजिटल दौर में मातृभाषा पर संकट है। हम अपनी मातृभाषा में गर्व से बात करें। मातृभाषा के गीत सुपर हिट हो रहे हैं और व्यवसाय भी कर रहे हैं इसको बढ़ावा न देने से हमारी संस्कृति का लोप हो रहा है।
गुरु नानक कॉलेज चेन्नई की सलाहकार डॉ. मरलीन मौरिस मलयालम भाषा की है इसके बाद भी वह हिंदी समेत देश के कई भाषाओं को जानती हैं उन्होंने कहा कि मातृभाषा में जो भाव होता है वह अन्य भाषाओं में नहीं मिल सकता। मातृभाषा से जुड़े रहना हर इंसान के लिए जरूरी है बहुभाषी होने से ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।वित्त अधिकारी संजय राय ने कहा कि दंतकथा कथाओं को कैसे मातृभाषा से जोड़ा जाए इसके लिए प्रयास करना होगा.
कार्यशाला डॉ. मनोज कुमार पांडेय और डॉ. डाली के संयोजकत्व में आयोजित है। संचालन आइक्यूएसी सेल के समन्वयक प्रो.मानस पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने किया।
इस अवसर पर प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. वंदना राय, प्रो.देवराज सिंह, प्रो.अजय द्विवेदी,प्रो. अशोक श्रीवास्तव, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, गुरु नानक महाविद्यालय की डॉ. अनिता पाटील, श्रीमती गुड़िया चौधरी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से रेखा वर्मा, डॉ. विजय पाटिल, द्वारका दास वैश्णव कॉलेज से डॉ. मनोज कुमार आदि ने भाग लिया एवं कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी|
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