उच्च शिक्षा में मातृभाषा बहुत चुनौती: प्रो वंदना राय
भाषा जीवन है, जागरूकता जरूरी: डॉ. संतोष सिंह
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर सात दिवसीय कार्यशाला का छठां दिन
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं गुरु नानक कॉलेज स्वायत्तशासी चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को सात दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के छठवें दिन नवम् तकनीकी सत्र में विज्ञान में शिक्षण, शोध एवं रोजगार सृजन में मातृभाषा की उपादेयता विषय पर व्याख्यान हुआ।
इस अवसर पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो. वंदना राय ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा को लेकर बहुत चुनौती है। उन्होंने देश के विभिन्न प्रांतों में मातृभाषा के पाठ्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि भाषा को लेकर असमानता की खाई बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा देने वाले देशों की जीडीपी अधिक है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उमानाथ सिंह स्वायतशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर (डॉ) शिवकुमार ने कहा मेडिकल सेवा में स्थानीय भाषा का महत्व है। हालांकि चिकित्सा पाठ्यक्रम में मातृभाषा में पुस्तकों की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारियों और शोध के परिणाम के प्रकाशन से बहुत लाभ होता है लोगों को किसी भी प्रयोग की जानकारी मिल जाती है, मगर मातृभाषा के अभाव के चलते सभी लोग आसानी से नहीं समझ सकते।
चिकित्सा विज्ञान में मातृभाषा की उपादेयता विषय पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सा विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय डॉक्टर संतोष कुमार सिंह
ने कहा हर भाषा महत्वपूर्ण है उसे प्रमोट करने की जरूरत है । भाषा को लेकर कई देशों में क्रांति आई। भाषा जीवन है इसके प्रति जागरूकता जरूरी है।
कार्यशाला डॉ. मनोज कुमार पांडेय और डॉ. डाली के संयोजकत्व में आयोजित है। संचालन डॉ.मनोज पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन डॉली मौर्य ने किया।
इस अवसर पर प्रो. रामनारायण, प्रो.देवराज सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. रसिकेश, डॉ. सुनील कुमार, डॉ अवध बिहारी सिंह, ओमप्रकाश मिश्र, मंगल प्रसाद यादव, श्रीमती गुड़िया चौधरी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से रेखा वर्मा, डॉ. विजय पाटिल संदीप कुमार, सुरभि अवस्थी, दीप्ति मुद्गल, सुशील कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।
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