Sunday 27 September 2015

कार्पोरेट कान्क्लेव 2015




विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में शनिवार को इण्डस्ट्री इंस्टीच्यूट इंटरफेस द्वारा कार्पोरेट कान्क्लेव हाॅरिजन 2015 का आयोजन किया गया। हाॅरिजन 2015 में कार्पोरेट संस्कृति के लिए छात्रों को तैयार करने और कार्पोरेट के अनुरूप शिक्षण पर गहन चर्चा हुई। वक्ताओं ने अपने अनुभवों के साथ कई गूढ़ बातें बतायी। 
उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डा. केके गोस्वामी निदेशक भारतीय कारपेट तकनीकी संस्थान भदोही ने कहा कि नवाचार करने के लिए बहुत योग्यता की आवश्यकता नहीं होती बल्कि जो हमारे पास है उसी में नया करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कार्पोरेट जगत में काम करने वालों का सम्मान है। टीम में बेहतर काम करने वाले चिन्हित होते है और उत्साहवर्धन किया जाता है। अगर टीम काम नहीं करती तो एकला चलो की भावना से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से काम करने वालों की छवि संस्थान में सबसे अलग होती है। लीडर भी उन्हें सदैव कार्य सौंपते रहते है। उन्होंने कहा कि हमारा दिल, दिमाग और हाथ मिलकर हमारे लिए स्वर्ग बनाता है। स्वर्ग और नर्क हमारे कर्मों पर निर्भर करता है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि नवाचार लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। आज होने वाली चीज कल के लिए पुरानी हो जाती है। हमारा देश, समाज प्रतिदिन बहुत तेजी से बदल रहा है बहुत कुछ नया जुड़ रहा है। विश्वविद्यालय में चलने वाले प्रोफेशनल कोर्स कार्पोरेट की मांग के अनुरूप तैयार हो और निरंतर नवीनता के साथ सुधार हो यह हमारा प्रयास रहता है। उन्होंने कहा कि सूचना और तकनीकी ने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक मंच पर खड़ा कर दिया है। भारत में तकनीकी से जहां एक तरफ पढ़े लिखे लोग लाभान्वित हुए है वहीं गांव का किसान भी मजबूत हुआ है।
बतौर विशिष्ट अतिथि सुनील त्यागी महाप्रबंधक काशी गोमती सम्युत ग्रामीण बैंक वाराणसी ने कहा कि विश्व में सबसे तेज विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था भारत की है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में 143वें स्थान पर है। इस स्थान को ऊपर करने के लिए बेरोजगार हाथों को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक दृष्टिकोण होने के साथ सकारात्मक कर्म भी करना चाहिए। आज बैकिंग सेक्टर में ऐसे प्रोफेशनल की जरूरत है जो बिजनेस, आईटी और जनसंचार के विभिन्न आयामों से लैश है। 
विशिष्ट अतिथि मोनिरबा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. एके मुखर्जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में नवाचार है। वह अपने जीवन में परिस्थितियों के अनुरूप नवाचार करता रहता है। एक शिशु जन्म के पश्चात नवाचार से अपने जीवन को आगे बढ़ाता है। कार्पोरेट संस्कृति चुनौती भरी है। सही काम सही तरीके से करना कार्पोरेट संस्कृति है। जो भी कार्य करें उसमें नैतिक मूल्यों का समावेश होना चाहिए।
उद्घाटन सत्र में आमंत्रित प्रतिभागी प्रतिष्ठित प्रोडक्शन कम्पनी की प्रमुख एवं क्रिएटिव निदेशक मीनाक्षी सिंह राना ने कहा कि कार्पोरेट संस्कृति का मतलब अनुशासन, संगठन, नियमितता और स्पष्टता से है। आज इसीलिए संगठित रूप से कार्य करने के कारण ही कार्पोरेट संस्कृति की सराहना हो रही है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से रोजगार के अवसर बढ़ रहे है। बहुत सारी कम्पनियां पर्यटन के क्षेत्र में सेवाएं देने में लगी हुई है। पर्यटन से जुड़े पाठ्यक्रमों के कारण भारत में पर्यटन सेवा का बड़ी तेजी से विस्तार हुआ। इंटरनेट ने पर्यटन को नई दिशा दी है।
यूपीएल लिमिटेड के वरिष्ठ प्रबंधक अरूण राय ने कहा कि मैनेजमेंट से संबंधित पाठ्यक्रमों को कार्पोरेट की जरूरतों के हिसाब से तैयार करना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रोफेशनल स्किल का विकास हो इसके लिए शिक्षा के अतिरिक्त अन्य प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराना चाहिए। कृषि उद्योग से जुड़े डा. संजय भारती ने कहा कि सबसे अधिक रोजगार के अवसर कार्पोरेट जगत ने उपलब्ध कराये है। इसमें अपनी जगह बनाने के लिए दूसरों से अलग साबित करना होगा। कबूल अहमद, प्रतीक पाण्डेय, विनय कुमार माली, बलवंत सिंह, आशुतोष चतुर्वेदी समेत अन्य आमंत्रित प्रतिभागियों एवं अतिथियों को कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया। स्वागत भाषण में इण्डस्ट्री इंस्टीच्यूट इंटरफेस के समन्वयक डा. अविनाश पाथर्डीकर ने कार्यक्रम की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। विश्वविद्यालय की छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र के पश्चात विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। संचालन प्रबंध अध्ययन संकायाध्यक्ष डा. एचसी पुरोहित एवं धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डा. आशुतोष सिंह ने दिया। 
इस अवसर पर डा. मानस पाण्डेय, डा. संगीता साहू, डा. अजय द्विवेदी, डा. बीडी शर्मा, डा. प्रदीप कुमार, डा. वंदना राय, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अमरेंद्र सिंह, डा. सुशील सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. कार्तिकेय शुक्ल, सुशील कुमार, डा. प्रवीन सिंह, डा. विनय वर्मा समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षक, विद्यार्थी मौजूद रहे। 

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