- स्वामी जी के शिकागो उद्बोधन दिवस पर कार्यक्रम
- स्वामी जी के मूर्ति के समक्ष 11 सितम्बर 1893 के शिकागो उद्बोधन को पढा गया
- विवेकानंद के विचार पर आधारित व्यक्तित्व का विकास पुस्तक का हुआ वितरण
इस अवसर पर प्रो तिवारी ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के समीप स्थित शिकागो उद्बोधन शिलापट्ट के समक्ष विद्यार्थिओं को समाज के लिए जीने का संकल्प दिलवाया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी युवाओं के सदा प्रेरणा के स्रोत रहेंगे।उनके विचारों को आत्मसात कर लक्ष्य प्राप्ति की जा सकती है.शिकागो सम्मलेन में स्वामी जी के कुछ ही समय के सम्बोधन ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मजबूती प्रदान की थी.इससे पुरे विश्व में हिंदुस्तान का नाम रोशन हुआ. विश्वविद्यालय में स्थापित स्वामी जी का यह शिकागो उद्बोधन शिलापट्ट सदैव युवाओं में ऊर्जा का संचार करता रहेगा।

इसके पूर्व विद्यार्थिओं ने पद यात्रा कर विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय स्थित स्वामी जी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। डॉ बी डी शर्मा ने कहा कि विवेकानंद शिकागो सम्मलेन में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उनके अमेरिकी भाइयों और बहनों के उद्बोधन करते ही पूरे धर्म स्थल तालियों से गूंज गया। उन्होंने भारत में भी धर्म जाति से हट कर एक नए समाज की अवधारणा विकसित की।डॉ शर्मा ने स्वामी जी के मूर्ति के समक्ष 11 सितम्बर 1893 के शिकागो उद्बोधन को पढा।


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सांख्यकीय के ज्ञान के बिना शोध पूर्ण नहीं
प्रो राम जी लाल ने भी विषय पर विचार दिया। संकायाध्यक्ष डॉ अजय प्रताप सिंह ने अतिथि का स्वागत एवं संचालन डॉ अवध बिहारी सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो आर एस सिंह, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ सुभाष, डॉ रुश्दा आज़मी, डॉ सुनील कुमार समेत विद्यार्थी उपस्थित रहे.
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