Sunday 29 October 2017

नाद ही ब्रह्म - प्रो डॉ राजाराम यादव




विश्वविद्यालय में  सांस्कृतिक संध्या  सम्पन्न 

 विश्वविद्यालय में रविवार की रात सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। छतरपुर मध्यप्रदेश से पधारे मृदंग मार्तंड पंडित अवधेश कुमार द्विवेदी, संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायक पंडित सत्य  प्रकाश मिश्र एवं स्वामी शांति देव महाराज के शिष्य तथा ठुमरी एवं तराना  गायन में सिद्धहस्त कुलपति  प्रो डॉ   राजाराम यादव की युगलबंदी ने श्रोताओं  को अपने उत्कृष्ट गायन से मंत्रमुग्ध  कर दिया। इस अवसर पर मालकोश राग में रावण- मंदोदरी संवाद पर प्रो डॉ राजाराम यादव की प्रस्तुति- मैं कहां जाऊं कासे कहूं पर श्रोता  झूम उठे। उनके द्वारा  प्रस्तुत तराना एवं  ठुमरी बुद्धि न जागी,निकल  आयो  घमवा,जब जागी तब मूरत पायी,आगि लागे धंधा   वज्र परे कमवा पर   समूचा हाल तालियों की गूंज से अनुगुंजित होता  रहा।   शास्त्रीय गायक पंडित सत्यप्रकाश मिश्र द्वारा प्रस्तुत भजन एवं मृदंगाचार्य   पंडित अवधेश कुमार द्विवेदी  के शिव तांडव स्त्रोत पर मृदंग वादन ने लोगों का मन मोह लिया।  इस   अवसर पर  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरुंधति वशिष्ठ अनुसन्धान पीठ के  निदेशक डॉ चंद्र प्रकाश सिंह  ने कहा कि संगीत मानसिक तनाव से मुक्ति देता है।  अपने उदबोधन में कुलपति  प्रो  डॉ राजाराम यादव ने कहा  कि नाद ही ब्रह्म है। आहत नाद को ब्रह्म नहीं माना गया लेकिन अनाहत नाद को ब्रह्म की संज्ञा से अभिहित किया गया है।  धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ. अविनाश पाथर्डीकर एवं संचालन  मीडिया प्रभारी डॉ  मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर डॉ अजय द्विवेदी, डॉ राम नारायण, डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ अमरेंद्र सिंह , डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ रजनीश भास्कर, डॉक्टर संतोष कुमार, डॉ राजकुमार सोनी, डॉ सुशील सिंह, डॉ अलोक सिंह , डॉ विवेक पांडे, डॉ रजनीश भास्कर ,आलोक दास डॉ संजय श्रीवास्तव डॉक्टर विद्युत मल, डॉ पीके कौशिक, सुशील प्रजापति, धीरज श्रीवास्तव समेत विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। 

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