Monday 30 October 2017

पुरातन संस्कृति से विद्यार्थियों जोड़ना होगा - प्रो० गौतम


पूर्वांचल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सम्मलेन का हुआ समापन 

 विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य  में चल रही तीन दिवसीय सम्मेलन का सोमवार को इंजिनियरिंग संस्थान के विश्वेशरैया हॉल में  समापन हुआ।तीसरे दिन भारत में प्राचीन शिक्षा पद्धति व एकात्म मानववाद और भारतीय मूल्य विषयों पर  सत्र का आयोजन किया गया।
 विभिन्न सत्रों में मुख्य वक्ताओं के क्रम में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर नरेश चंद्र गौतम ने कहा कि आज के दौर में गुरु शिष्य के संबंधों की पुरातन संस्कृति समाप्त हो गई है.विलुप्त हुई संस्कृति को  नई पीढ़ी से पुनः जोड़ना होगा।उन्होंने कहा कि विदेशों की नकल कर शिक्षा का निजीकरण कर दिया गया.धनवान व्यक्तियों ने शिक्षा को उद्योग बना दिया है और आज यह लाभ के केंद्र तक सीमित हो गए हैं.उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता  मिली है लेकिन बहुत सारे ऐसे नियम है जिससे सहायता प्रभावित हो रही है.
अरुंधति वशिष्ठ अनुसन्धान पीठ के  निदेशक डॉ चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि भारत में पुरातन व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा ऐसी  थी जिससे  मोक्ष मिलता था। लेकिन आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य बदल गया है।आज शिक्षा के बिना सर्वांगीण विकास संभव नहीं है और इसके मूल को समझने की आवश्यकता है।
वाराणसी के उद्योगपति दीनानाथ झुनझुनवाला ने कहा कि छात्र राजनीति गलत दिशा में जा रही है.राजनीतिक पार्टियों के  छात्र संघ में हस्तक्षेप पर रोक लगनी चाहिए।
काशीि हिन्दू विश्वविद्यालय  के गणित के प्रोफेसर डॉक्टर एसके मिश्रा  ने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा के लिए बहुत कम बजट है.भारत में जहां कुल बजट का 1.5 5% है वही चाइना में 15.72 प्रतिशत बजट की व्यवस्था है.सरकारों को उच्च शिक्षा में सुधार के लिए इस बजट को बढ़ाना चाहिए।उन्होंने देश में उच्च शिक्षा की स्थिति पर विस्तार से अपनी बात रखी.

अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजाराम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए विद्यार्थी सबसे महत्वपूर्ण है उनके बिना कोई संस्थान सजीव नहीं हो सकता।ऐसे में ऐसी विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति निर्मित हो जो विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के में सहायक हो सके.उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों को अनुदान बढ़ाने पर भी जोर दिया।

सम्मेलन के संयोजक डॉ अविनाश पर्थिडेकर ने  तीन दिवसीय सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ मुराद अली ने किया।
इस अवसर  पर डॉ विनोद सिंह, डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉक्टर बी डी शर्मा, डॉ आर एन ओझा, डॉक्टर ए के श्रीवास्तव, डॉ अजय द्विवेदी, डॉ मनोज मिश्र, डॉक्टर हिमांशु सिंह, डॉ राजेश शर्मा, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉक्टर सुनील कुमार, डॉक्टर अवध बिहारी सिंह, डॉक्टर अमरेंद्र  सिंह, डॉक्टर सुशील सिंह समेत तमाम  उपस्थित रहे. 

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