Sunday 7 October 2018

वायलिन और तबले की जुगलबंदी ने बहाई सुर की धारा




अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वायलिन वादिका  पद्मभूषण डॉ  एन राजम की प्रस्तुति के दर्शक हुए कायल 


विश्वविद्यालय के अवैद्यनाथ  संगोष्ठी भवन  में रविवार की शाम सांस्कृतिक संध्या में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वायलिन वादिका  पद्मभूषण डॉ  एन राजम ने  अपनी अनोखी  प्रस्तुति देकर श्रोताओं मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी छत्र छाया में संगीत का संस्कार ले रही सुश्री  रागिनी शंकर और  तबले पर संगत  बनारस घराने के प्रख्यात तबला वादक पंडित कुबेर नाथ मिश्रा  ने  किया। 
कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने महात्मा गांधी के प्रिय  भजन रघु पति राघव राजा  राम और वैष्णव जन तो तेने कहिये को वायलिन के तारों से सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में  राग देश और फिर  मीरा  का पद, पायो जी मैंने  राम रतन धन पायो बजाया। बनारसी दादरा की प्रस्तुति पर संगोष्ठी हाल में दर्शकों की तालियां लगातार बजती रही। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने राग भैरवी में बंदिश की प्रस्तुति से दर्शकों को अपना कायल बना दिया। 
उन्होंने कहा कि संगीत में  वॉल्यूम वेरिएशन से भाव आता है। एक फ्रेज को अलग अलग तरह से वायलिन के तारों को झंकृत कर सुनाया। संगीत में विराम  महत्व को भी बताया। 
कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव एवं आचार्य शांतनु जी महाराज ने डॉ  एन राजम, रागिनी शंकर और  पंडित कुबेर नाथ मिश्रा  को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।  कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने कहा कि यदि कोई विद्यार्थी दूसरा एन  राजम  बनना चाहता है तो विश्वविद्यालय उसका पूरा खर्च वहन करेगा। उन्होंने डॉ राजम की अद्भुत प्रस्तुति पर कहा कि आज जिस प्रस्तुति को  विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थियों ने सुना है वो जीवनपर्यन्त उनके चित्त में रहेगा। 
कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज मिश्र। इस अवसर पर इस अवसर पर  कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी एमके सिंह, प्रो ओम प्रकाश सिंह, प्रो अविनाश पार्थीडकर, अन्नू त्यागी, डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ विजय तिवारी, डॉ अनुराग मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ नीरज सिंह, डॉ  सुधीर उपाध्याय, डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ के एस तोमर आदि मौजूद रहे।

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