विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक संध्या का हुआ समापन
विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह के अंतर्गत चल रहे सांस्कृतिक संध्या का सोमवार को समापन हुआ। चार दिवसीय सांस्कृतिक संध्या में दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। समापन सत्र में प्रख्यात कथक नर्तक विशालकृष्णा की टीम की प्रस्तुति पर दर्शकों की तालियां बजती रही।
प्रख्यात कत्थक कलाकार विशाल कृष्णा ने कहा कि हम अपनी संस्कृति ,कला से दूर हो पश्चात संस्कृति से जुड़ रहे हैं। हमें अपनी खुद के सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखने की जरुरत है। उन्होंने अर्चना सिंह, श्रीयाना कृष्णा और स्पेन की कलाकार नूरिया काबो के संग प्रस्तुतियां दीं।
विशाल कृष्ण ने अपनी पहली प्रस्तुति अर्धनारीश्वर पर दी। जिसमें शिव और पार्वती के अलग-अलग रूपों को नृत्य में देखकर दर्शकों को अद्भुत आनंद की अनुभूति हुई। महिषासुर मर्दिनी की प्रस्तुति में मां दुर्गा के रौद्र रूप को देखकर पूरा हाल भक्तिमय में हो गया। भगवान श्री कृष्ण का मोर नृत्य एवं तराना की प्रस्तुति ने दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। आज रंग है री मां, आज रंग है री, मोरे ख्वाजा के रंग है री......... पर सूफी कथक देख दर्शक खो गए। ग्रीष्म के बाद जब पहली बारिश की बूदों को विशाल कृष्ण की टीम ने अपने नृत्य में प्रस्तुत किया तो बारिश की बूंदों से पूरा हाल भीग गया।
इसके पूर्व काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राम शंकर ने शस्त्रीय गायन प्रस्तुत किया। जिनके साथ तबले पर पंडित कुबेरनाथ मिश्र, हारमोनियम पर पंकज शर्मा, तानपुरा पर जितेंद्र सिंह एवं ऋषभ चतुर्वेदी संगति की। प्रोफेसर शंकर ने शास्त्री गायन का शुभारंभ साजन तुमसे प्यार है........ गाकर समा बांध दी।इसके साथ ही ठुमरी की भी बेजोड़ प्रस्तुति दी। संचालन डॉक्टर मनोज मिश्र ने किया।
कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने प्रो राम शंकर एवं विशाल कृष्ण एवं उनकी टीम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर,प्रो वंदना राय, प्रोफेसर अजय द्विवेदी, प्रो बी डी शर्मा, डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ राजकुमार सोनी, डॉ रसिकेश, डॉ के डी समाधिया, डॉ नूपुर तिवारी, पंडित अवधेश कुमार द्विवेदी, राकेश यादव, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ निपेंद्र सिंह,डॉ मनोज पांडे समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।
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